जगदीश चंद्र चौहान चरण सिंह चौहान
सीतामऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कई सालों से बीएमओ पदस्थ है लेकिन उनका अस्पताल के ऊपर कोई ध्यान नही जो आज देखने को मिला हे। अगर ध्यान होता तो आज पीएम रूम के पास मृत अवस्था में बदबू दार कुत्ता पड़ा हूवा नही रहता जब शासन बीएमओ की पोस्ट पर किसे पदस्थ करती है तो उसकी पूरी जवाबदारी रहती है पूरे अस्पताल की जितने भी डाक्टर होते हे कर्मचारी सहित की जवाब देही रहती की कहा पर किया हो रहा हे प्रस्तुति वार्ड में डिलेवरी महिलाओं को जो शासन द्वारा पोस्टिक आहार दिया जा रहा है वो उनको मिलता है या नहीं कुपोषण बच्चे तो नही हे ज्यादा अस्पताल में पर उनको तो अस्पताल के अंदर आकर माथा टेककर चले जाना ही उनका मकसद है.! क्यू की वो एक पॉवर फूल बीएमओ हे क्यू की आपने देखा होगा की 2005 /06 में प्रदेश के मुखिया सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा जन आशीर्वाद यात्रा मंदसौर जिले में निकाली गई थी जो सीतामऊ होते हुए तीतरोंद सूरजनी ढिकनिया सुवासरा की ओर गई थी जिसमे किसी व्यक्ति द्वारा डिलेवरी के समय लापरवाही की शिकायत की गई थी जो सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा ढिकनीय में डाक्टर वर्तमान बीएमओ को मंच से तुरंत सस्पेंड कर दिया था लेकिन कुछ माह बाद ही वापस सीतामऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आमद हो चुकी थी जब सीएम जैसे एक डॉक्टर को सस्पेंड किया जाता है और फिर वापस उसी हॉस्पिटल में आना कहीं ना कहीं बीएमओ पावरफुल माने जाते हैं फिर दुबारा भगवा सेना के राष्ट्रीय संस्थापक सुनील शर्मा व भगवा सेना के जिलाध्यक्ष नाहर सिंह सिसोदिया ढंडेड़ा व उनके साथियों द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मेन गेट के सामने धरना दिया गया था बीएमओ को हटाने के लिए उसमें भी बीएमओ का नगरी ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन फिर दोबारा उसी हॉस्पिटल में आना बड़ी विडंबना है एक तरफ देखा जाए तो शासन के ऊपर भारी पड़ते हुवे दिखाई दे रहे हैं। जबकि बीएमओ को तो सिर्फ अस्पताल के कर्मचारियों को निर्देश देना होता हे की जो भी समस्या है चाहे साफ सफाई की हो या डिलीवरी वाली महिलाओं को समय पर शासन द्वारा दिया जा रहा पोस्टिक आहार मिलता है या नहीं उसकी भी देखरेख होनी चाहिए लेकिन उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जाता हे शासन के ऊपर बीएमओ भारी ऐसा प्रतीत होता है। क्यू की खबर में दो मामले लिखे हुवे हे ये सबको पता है किसी से छुपे नही