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अतिथि शिक्षकों के सानिध्य मे चल रही हे संस्था। बच्चों के भविष्य के साथ किया जा रहा है खिलवाड़।

आखिर कहाँ तक चलेगा जातिवाद का किस्सा ?

झाबुआ से चंद्रशेखर राठौर

हम बात कररे है झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील के बोलासा संकुल कि एकीकृत शासकीय हाई स्कूल तारखेडी जहा स्कुल प्राचार्य नेपालसीह चौहान ओर लक्ष्मीनारायण वैष्णव के द्वारा अपनी मनमानी के चलते आदिवासी हरिजन शिक्षकों के साथ जातिसुचक शब्दों का किया जा रहा है प्रयोग। ओर कोई भी महिला शिक्षिका इस संस्था मे आती है तो उसका यहा से करवा दिया जाता है स्थानांतरण या फिर उसको जातिवाद के नाम पर इतना प्रताड़ित किया जाता है की वह खुद ही अपना स्थानांतरण करवाकर चलते बनती है। इस तरह से इस संस्था द्वारा अपनी मनमानी की जा रही और कोई कुछ नही बोल पा रहा है।

बीआरसी द्वारा भी इस स्कूल का निरीक्षण किया गया तो भी इन लोगो पर कोई कार्यवाही उनके द्वारा नहीं की गई

हम आपको जानकारी देते हुए बता रहे है की जब से सरकार के द्वारा सभी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय को एकीकृत पोर्टल पर नम्बर 174 पर दर्ज शासकीय हाईस्कूल तारखेडी में नियमित शिक्षकों द्वारा नियम के विरुद्ध जाकर सरकार के नियमो की धज्जिया उड़ाई गई है और साथ हि अधिक अतिथि शिक्षक अपनी सुविधा अनुसार अपने रिश्तेदारों को ही इस संस्था मे रखे गये है। जबकी शासन का नियम है कि एकीकृत शाला में पहली से पाँचवी तक 3 शिक्षक व 6 टी से 10 वी तक 6 शिक्षक ही कार्य कर सकते हैं। जिनका कुल 09 शिक्षक ही कार्य कर सकते है। परन्तु इस शाला में नियमित शिक्षकों द्वारा अपने रिश्तेदार व चाटूकारों को मिलाकर कुल 13 शिक्षक कार्य कर रहे है। जो की सरकार के नियम के विरुद्ध है। और गलत भी है?

साथ ही हम आपको कुछ और भी जानकारी दे रहे है। जो की निम्न बिंदु के आधार पर है।

  1. यही की इस स्कूल मे आये दिन यहा के प्राचार्य चौहान एवं वैष्णव द्वारा आदिवासी एवं हरिजन जाति वाले अतिथियों को आये दिन प्रताड़ित किया जाता है। एवं भेदभाव करते हुए देखा गया है।
  2. इस स्कूल मैं प्राचार्य महोदय बिएलओ का कार्य करने के साथ में गांव में स्कूल के बच्चो के मातापिता को राजनीति पार्टी मे भी हस्तक्षेप कर कोन सी पार्टी को चुनाव में वोट डालने का भी दबाव प्राचार्य के द्वारा बनाया जाता है।
  3. अब ग्रामीणों का यह सवाल है की हमारे बच्चे स्कूल मे अच्छी शिक्षा ओर अच्छे संस्कार के लिए स्कूल भेजते है। लेकिन यहां तो मैडम जींस टॉप और हीरोइन बनकर आती हैं। और मैडम के संस्कार सभी बच्चे ग्रहण कर गरीब माता पिता से भी उसी तरह के कपड़े लाने की जिद करते।
  4. इस स्कूल मे विगत कई सालो से शिक्षिकाओ को कार्य नही करने दिया गया है। एवं उन्हे हमेसा से प्रताड़ित कर उनका शोषण कर उसका स्थांतरण दूसरी जगह कर दिया जाता है। इनका कहना है की एक औरत एक पुरुष के साथ मे काम नही कर सकती। जबकी सरकार का कहना है की महिलाओ को आगे आना चाहिए। तो इस तरह की सोच वाले लोग जब तक होगे तब तक महिलाये आगे नहीं बड़ सकती है ।
  5. यहा पर विराजमान इनके ही अतिथि शिक्षक इनके आशीर्वाद से किसी भी समय आ जा सकते है क्योंकी वह इनके रिश्तेदार जो ढहरे है। कुछ अतिथि शिक्षक ऐसे है जिनकी शेक्षणिक योग्यता बी.कॉम कि है परन्तु अपने पिताजी के आशिर्वाद से अतिथि स्कोर कार्ड सामाजिक विज्ञान दर्ज करवाकर कार्य कर रहे हैं । परन्तु सामाजिक विज्ञान के विषय हेतु तीन नियमित शासकीय शिक्षक कार्यरत है। उसके बावजूद अतिथि पर मेहरबान क्यो है।

6.गणित विषय का अतिथि शिक्षक जिला पैनल का होने के बावजूद भी अपनी भतिजी जो की बी.ई की डीग्री धारि है।
उसको इस वर्ष अपने आशिर्वाद से रख लिया गया है।

  1. यह सभी नियमित शिक्षक माध्यमिक शिक्षक पद पर इस संस्था मे पदस्थ होने के उपरान्त भी प्रायमेरी कक्षा लेकर बैठे रहते है तथा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है । इस संबंध में बच्चों का भौतिक परीक्षण भी किया जा सकता है। और माध्यमिक कक्षाओं में आशिर्वादी अतिथि शिक्षकों से शिक्षण कार्य करवाते है।

8.विद्यालय में सामाजिक विज्ञान पढ़ाने हेतु कुल एक शिक्षक की आवश्यता है परन्तु इस विद्यालय में 3 नियमित शासकीय शिक्षक होते हुए भी 3 अन्य अतिथि शिक्षक सामाजिक विज्ञान विषय लिए नियक्त कर पढ़ाने के लिए रखे गये है । जबकी शासन द्वारा शिक्षक होने के बाद भी अन्य विषय पढ़ा रहे है। यह सब क्या हो रहा है क्यूं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कि जा रहा है।

  1. बच्चों के भविष्य को देखते हुए यह कहा जा सकता है की समस्त शिक्षकों की शिक्षका डायरी की जाँच की जाना चाहिए।
  2. जबकी शासन के निर्देशानुसार एकीकृत शाला होने से इतने शिक्षकों की आवश्यकता नहीं है। इन शासकीय शिक्षकों द्वारा अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए देश व राज्य की वित्तिय धन राशी का दुरूपयोग किया जा रहा है इन अतिरिक्त अतिथि शिक्षकों को दिया गया वेतन प्राचार्य व सहायक शिक्षकों से वसुला जावे ताकी भविष्य में देश की शिक्षा व बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके। यह दो शासकीय शिक्षक भी विगत कई वर्षों से इसी शाला में कार्यरत है। जिससे शिक्षा व शाला को अपनी जागीर समझने लगे है। और मन चाहे तरिके से चलाते है और अतिथि शिक्षकों पर पुरा भार देकर स्कूल में उपस्थिति दर्ज कर ग्रह कार्य में मग्न रहते है ऐसे स्थानीय शिक्षकों को अपने मूल स्थान से अन्यत्र संकुल मे पदस्त किया जाना चाहिए। जिससे ये भी समय का महत्व समझे क्योकी ये भी विद्यालय मे समय का पालन नही करते हैं और अपनी इच्छा से उपस्थिति लगाकर आधे समय मे ही घर चले जाते है।

ग्रामीणों से चर्चा कर पटा चला की गरीब माता पिता किस प्रकार से शिक्षा दिलवाते है उन्हें ही पता है। और कहा तक ये जातिवाद रहेगा ओर कहाँ तक यह महिला शिक्षिकाओं पर अत्याचार करेंगे। फर्जी अतिथि शिक्षकों को बाहर किया जावे और नियमित शिक्षकों से अतिरिक्त शिक्षकों को दिया गया वेतन वसुला जावे ताकी भविष्य में कोई भी कर्मचारी शासन की योजना का गलत तरिके से शोषण नहीं कर सके और ना ही लाभ ले सके एवं बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो सके।

साथ ही इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को भी अवगत कराया गया है। और उनका कहना है की।

एक्टव रिस्पांसिबल है। बात करे अगर सही होगा तो तत्काल कार्यवाही की जाएगी।

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