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शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को अभी भी नहीं दिया जा रहा हैं मेन्यु के आधार पर भोजन।

झाबुआ से चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ जिले मे बात करे शिक्षा को लेकर तो जिले के अधिकारी बड़ी बड़ी बाते तो करते है लेकिन देखा जाये तो जमीनी स्तर कुछ ओर हि बया करता है। हम आपको बता दे की सरकार एक तरफ तो बड़े बड़े वादे करती है। ओर झाबुआ जिले मे सरकारी स्कूलो को प्राइवेट जैसा बनाने की जो सरकार की मंशा है वह मंशा हि रह जाएगी। क्योकि जिस तरह से जिले मे स्कूलों को मॉडल शनराइज स्कूल मे तब्दील की जा रही है। लेकिन सरकारी स्कूलों की अभी भी हालत खराब हो रही है। जो की हकीकत कुछ और हि है। लेकिन क्या सरकार के द्वारा जो मेन्यु बनाया गया है वह सिर्फ बताने के लिए है या कहने के लिए। ना तो उस मेन्यु के आधार पर बच्चों को भोजन बनाकर दिया जा रहा है। ओर ना उसका कोई सही से रख रखाव हो रहा हैं भोजन समय पर बन गया तो सही नहीं तो बच्चों को जैसे तैसे जो मर्जी मे आया वह खिलाया ओर रफा दफा किया। झाबुआ जिले की हर स्कूलो के बहार आपको यह मेन्यु बार दिखाई तो देगा। मगर बच्चों से जाने की क्या हकीकत हैं। बच्चों का कहना है की सूचना बोर्ड पर जो लिखा हुआ है। उसके आधार पर आज भी बच्चों को भोजन नहीं मिलता। ओर शिक्षा अधिकारी बड़ी बड़ी बातें करते नहीं थकते है।

क्या मध्यप्रदेश की सरकार को भोजन मेन्यु सुधाराना चाहिए?

कहने को तो हर शिक्षा अधिकारी बच्चों की उपस्थिति दर्ज के अनुसार भोजन सरकार से ले रही है तो वही उन बच्चों को वह भोजन क्यो नहीं मिल रहा है। इसका क्या मतलब है यह तो अधिकारी ही जानते है की क्या चल रहा है। कही तो चावल की खिचड़ी तो कही दाल रोटी तो कही कुछ ओर खिलाकर ऐसा लगता है की भोजन कराकर इन बच्चों पर कोई एहासन किया जा रहा है। ओर सरकारी अधिकारी सिर्फ खाना पूर्ति मे लगे हुए है। क्या इन अधिकारियों पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। जिससे की इन बच्चों को सही भोजन मिल सके। ओर जो भोजन बनाकर खिला रहे हैं क्या वह भोजन ये अधिकारी खा सकते हैं। नहीं क्योकि उक्त भोजन उन छोटे छोटे बच्चों के लिए ही है अधिकारियों के लिए नहीं। तो ये अधिकारी क्यो आने वाले भविष्य के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ कर रहे है। सबकुछ जानकर भी अंजान क्यो बने हुए हैं यह अभी भी सोच से परे है। आखिर कार उन पर जिले के अधिकारी क्यो मोन है। क्या इनकी साजगाठ से जिले में यह सब हो रहा हैं। ओर यह सब कुछ देखने वाला कोई नहीं है। कही कही तो बच्चे ही बच्चों को भोजन करते नजर आ रहे है। तो क्या सरकार इन भोजन बनाने वालों को समय पर तन्खा नहीं दे रही है।
ओर तो ओर यह भी देखने को मिला है की जो वाइन के लिए पानी की व्यवस्था की गई है वह भी ठेकेदारों के द्वारा ठीक से नहीं बनाये गये है पानी की नल तो लग गये है लेकिन पानी नहीं है ओर कही पानी है तो नल नहीं है।

बाकी की जानकारी अगले अंक में होगी मुलाक़ात

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