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झकनावदा ग्राम पंचायत मे बने कामप्लेक्स की दुकान का मामला पहुचा जनसुनवाई मे।

झकनावदा ग्राम पंचायत मे बने कामप्लेक्स की दुकान का मामला पहुचा जनसुनवाई मे।

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

क्या हे मामला पड़े पुरी खबर

झाबुआ आज जनसुनवाई में 38 आवेदन प्राप्त हुए पर देखा जाये तो जो कार्य पंचायत ओर जनपद पंचायत मे हो सकते है वह भी आवेदन लेकर पहुंचा कलेक्टर के पास और दिया जनसुनवाई मे। जबकी छोटे छोटे निवारण तो हर कोइ करदे मगर वो कार्य भी झाबुआ जिले के कलेक्टर को दिये जा रहे हैं। ओर उस कार्य मे राजनेताओं के कहने पर होता हैं निवारण जो नेता कहे उसकी सुनवाई की जाति है और बकी चलते रहते हैं। वाह क्या खूब है नेताजी गरीबो के हक छीने जा रहे हैं और आप को अपने फायदे की अड़ी है।

जी हा हम बत कर रहे हैं झाबुआ जिले की जहा देखा जाये तो कलेक्टर की जगह नेताओं के कहने पर होती है सुनवाई। और कलेक्टर देते हे निर्देश और होती है कलेक्टर के निर्देशों की हवा हवाई। 7 दिन मे निवारण के निर्देश दिये जाते हैं औए दिन,सप्ताह,महीने,और साल भी निकले जा रहे पर कोई सुनवाई नहीं औए ना कोई कार्यवाही होती हैं। आज की जन सुनवाई मे भी
संयुक्त कलेक्टर एवं अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी दिनेश वर्मा की अध्यक्षता में आज की जनसुनवाई प्रारम्भ हुई थी जिसमे कई लोग आये मगर वहा पर बैठे अधिकारी भी आपस मे ही बाते करते और मोबाईल चलाने मे व्यस्त नजर आ रहे थे और येसा प्रतीत हो रहा था की आयो बैठो जायो और भिड़ ख़तम करो जैसी स्तिथि बनी हुई थी उसी बिच एक व्यक्ति जो आवेदन कर्ता आया और अपने आवेदन के निवारण की स्थति जानने के लिए आया था। मगर आवेदन की जानकारी देख उसके होस उड़ गये और बात करने पर पता चला की उसके साथ कितना बड़ा अन्याय हो रहा हैं। जैसा की हम आपको बता दे की उसे पता चला की 7 दिन में उसकी समस्या का समाधान हो जायेगा।

यह है पुरा मामला जनसुनवाई मे आवेदन देने से पहले कि कहनी

तो उसने आवेदन टाइप करवाया जिसमे लिखा था की मे रविंद्र भाटी पिता राजेंद्र भाटी ग्राम पंचायत झकनावदा मे पंचायत के समीप एक गुमटी कई वर्षो से लगा रहा था जिसकी रसीद पंचायत वालों से हर मह मे कटवाता था उसके बाद जा पंचायत के द्वारा मुजसे कहा की यहा पर काम्प्लेक्स बनेगा और आपको दुकान हटानी हे। लेकिन जब निर्माण हो जायेगा तो यथा वत आपको इसी स्थान पर आपको दुकान दी जाएगी। लेकिन अभी आपको दुकान हटाना पड़ेगी। उसने सोचा की चलो अच्छी बात हैं लेकिन पहले आप मुझे लिखित में दीजिये की हा आपको दुकान दी जाएगी तो पंचायत मे हीं बेठकर उस दुकान का ठहराव प्रस्ताव बना दिया गया और उससे निर्माण के पहले हीं 2 लाख 5 हजार रुपये के चेक ले लिए गये। अब जब पंचायत का काम्प्लेक्स बन कर तैयार हो गया। और जो दुकान उसको देना थी वह किसी और की दे दी गई। तब उसने पंचायत के सचिव से बात की तो उसने अपना पलड़ा झाड़ दिया और कहने लगा की मे क्या करु आप मेम्बर से बात करो वो दुकान तो मेम्बर ने हीं लेली मेने बोला भी सही पर उन्होंने मेरी बात नहीं मानी और बोला की हम निपट लेंगे आपसमे तो मेने मेम्बर से बात की तो उन्होंने भी दूसरे मेम्बर का बोला अब मे तो मुसीबत में और दुकान के साथ साथ 2 लाख 5 हजार रुपये भी गये। तब मेने सोचा की अगर यह सब गलत कर के भी बच रहे हैं। और मे अगर जनपद मे भी गया जो मेने पेटलावाद की भी इसी मामले की खबर पड़ी जिसमे जो दुकाने बनाई गई उसमे भी गड़बड़ घोटाला किया गया था तब मेने सोचा की इनकी वहा भी सेटिंग होगी। तो मेने झाबुआ जनसुनवाई मे आवेदन देने का सोचा तब मेने आज से 15 दिन पहले आवेदन किया और 7 दिन के निर्देश की बात सुकर मुझे लगा की मुझे भी यहा से न्याय जरूर मिलेगा। मगर जब आज मे 15 दिन के बाद आज गया तो पता चला मे जैसे हीं मेने रिसिप्ट दी और उन्होंने पोर्टल पर मेरे आवेदन के क्रमांक संख्या डाली तो देखकर मेरे होस उड़ गये उसमे लिखा की पंचायत के द्वारा इन्हे दुकान दी गई पर इन्होने दुकान लेने से मना कर दिया और इन्हे मनचाही दुकान चाहिए जो पंचायत के नियम मे नहीं है।

तब रविंद्र भाटी ने वही पर बैठे दिनेश वर्मा से बात की तो उनका कहना यह था की

आपकी मर्जी से थोड़ी होगा पंचायत ने जो नीलामी की होगी उसी के आधार पर देंगे और जब उन्हे पुरी बात बताई तो उन्होंने पुरा मामला जनपद पंचायत के सीईओ की और मोड़ दिया और अब वो जो भी निर्णय लेना हे वही करेंगे आप उनसे जाकर मिल लो मे अभी कॉल कर देता हूं। मेरे सामने हीं बात की गई जो की अभी पेटलावाद मे प्रवीना मैडम है जो सीईओ है उसके पहले अमित व्यास थे उस वक्त यह दुकाने निर्मित की गई थी।

अब दोरा पेटलावाद का हुआ सुरु

जब मे झाबुआ से पेटलावाद पहुचा और मैडम मे से मिलकर उनको पुरी बात बताने के बाद उन्होंने कहा की मे शनिवार को ग्राम पंचायत आउंगी और बात करती हू। और मेरे नंबर लिए और मुझसे पूर्व व नविन सचिव के नंबर मांगे। मेने सोचा की इनके पास तो पेटलावाद के समस्त सचिव के नंबर होंगे। सोचने की बात है की मैडम पेटलावाद क्षेत्र की सीईओ हे तो क्या उनके पास इन सचिव के नंबर नहीं दिये जाते है क्या

खेर मेरे पास थे तो मेने दे दिये पूर्व के नविन का तो मुझे भी पता नही था। क्योकि यहा पर 2 से 3 सचिव आये और चले गये और अभी फिर नाये सचिव आये है।

अब देखना यह है की क्या सीईओ मैडम इस मामले मे निवारण करते है। क्या रविंद्र को दुकान दिलाएगी या फिर इस मामले को दबा दिया जायेगा।
या पुनः झाबुआ कलेक्टर के पास जाकर निवारण की गुहार लगानी होगी। बने रहे हमारे साथ बाकी की खबर के लिए अगले निरन्तर अंक में।

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