झाबुआ से चंद्रशेखर राठौर
झाबुआ 5 दिसंबर 2022 शहीद चन्द्रशेखर आजाद, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय झाबुआ के प्राणी शास्त्र विभाग द्वारा मार्गदर्शन डाॅ.रीना गणावा,दल प्रभारी डाॅ.रंजना रावत व डाॅ. रीता गणावा के मार्गदर्षन में विश्व बैंक परियोजना के गुणवत्ता उत्कृष्टता गतिविधियों के कए चलते शैक्षणिक भ्रमण महेश्वर स्थित नर्मदा नदी के ईक्थियोफौन (मछली की प्रजातियों) की जैव विविधता का अध्ययन एम.एस.सी.उत्तरार्ध के विद्यार्थियों को कराया गया। मछलियों की जैव विविधता जल के जैविक और अजैविक घटकों पर निर्भर रही है। महेश्वर स्थित नर्मदा नदी में मछलियों की लगभग 36 प्रजातिया पाई जाती है। जिसमें गण साइप्रिनीफाॅर्मिस के अंतर्गत कतला,रोहू,मृगल, साइप्रिनिस कोर्पियो,गारा, पंटियस,टोर,सिलुरीफाॅर्मिस के अंतर्गत ओमपोक, वेलेगो,मिस्टस,रीटा, क्लेरियस, आफियोसेफलीफाॅर्मिस के अंतर्गत चन्ना,पर्सिफोर्मीस के अंतर्गत चंदा नामा, मस्टासिम्बेलिफारमिस में बम,बेलेनीफारमिस में जिनेन्टेडान और क्लुपिफारमिस में नोटोप्टेरस एवं अन्य प्रजातिया पाई जाती है। मछली पालन में रोजगार के कई अवसरों की उपलब्धता होने के साथ-साथ इनका उपयोग दवाइयों के रूप में भी मैं भी किया गया है जनरल ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित नए शोधों के अनुसार व उमहं 3 फैटी एसिड्स से भरपूर मछलियों का सेवन करने से कैंसर और हृदय की बीमारियों से मौत के जोखिम को कम किया जा सकता है। फिष फूड प्रोटीन युक्त होते हैं जो लीन मसल्स मास बढाने व मांसपेषियों की मजबुती प्रदान करने में भी सहायक है। इसके अलावा मछलियों का संपूर्ण शरीर आर्थिक महत्व का होता है। इस शैक्षणिक भ्रमण में डाॅ.रवि विष्वकर्मा,डाॅ.पुलकिता आनंद, डाॅ. सपना जोषी, प्रो. प्रवेश जाटव,पावरसिंह मेडा,छतरसिंह ,श्रीमती अनुराधा के साथ एम.एस. सी.उत्तरार्ध के साकिब अली सैयद,शीतल वसुनिया, नम्रता परमार,करिष्मा, आयुषी बुंदेला ,प्रतिज्ञा राठौर,बिना,देवीसिंह, नमीरा,लल्ली,कमलेष, अनिल,ललिता,पिंटू,मीरा, वर्षा,सहित 39 विद्यार्थी उपस्थित रहे।