त्रि स्तरीय पंचायत 2022 चुनाव के प्रथम चरण में जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी व सेक्टर प्रभारी की खुलकर आई सामने लापरवाही एवं निष्क्रियता, आचार संहिता की खुलकर उड़ी धज्जियां!

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ ( झकनावदा) विगत 7 सालों से पंचायत चुनाव पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव एवं और कोरोना काल को देखते हुए टाले जा रहे थे। पिछली बार भी चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कुछ महीनों के लिए निरस्त किए गए थे। उसी को देखते हुए चुनाव आयोग एवं शासन व निर्वाचन आयोग की मंशा थी कि इस बार चुनाव निष्पक्ष एवं सक्रिय रूप से हो इसमें किसी की कोई लापरवाही बरती नहीं जाएगी।इसको लेकर शासन-प्रशासन की तैयारियां जोरों पर रही थी। कर्मचारियों अधिकारियों का प्रशिक्षण भी इसके लिए लिया गया। उसके बावजूद भी प्रथम चरण के चुनाव में झकनावदा के 25 जून 2022 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में सोशल मीडिया पर दो वीडियो और कुछ तस्वीरें वायरल हुई जिसमें लोग झुंड बनाकर मतगणना कर रहे हैं और कुछ लोग मोबाइल पर बातें कर रहे हैं मतपत्र पीठासीन अधिकारी ने आम लोगों के हाथों में दे रखे हैं तो क्या यह आचरण संहिता का खुलकर उल्लंघन नहीं हुआ। फर्जी मतदान हुआ है। यह कहने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसमें तो पीठासीन अधिकारी ने आम लोगों को यह अधिकार दे दिया कि आप की गणना करो और आप ही चुनाव का परिणाम निश्चित करो। क्या यह पंचायत राज अधिनियम के अंतर्गत आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ ? क्या यह चुनाव आयोग एवं शासन की मंशा के अनुरूप निष्पक्ष रुप से चुनाव हुआ? इसमें पुलिस प्रशासन, सेक्टर प्रभारी, रिटर्निंग अधिकारी की लापरवाही खुलकर सामने आ रही है।यह सब देख कर तो ऐसा लग रहा है कि “दाल में कुछ काला है”यह कहना भी गलत नहीं होगा की यहां पर पूरी सोची समझी रणनीति के अनुसार इन आम लोगों को बिठाया गया ।मोबाइल की अनुमति दी गई। और यहां तक गणन अभ्यर्थी कह रहे हैं कि उनको लेखा पत्र तक नहीं दिए। जिससे कि यह सिद्ध हो सके किस को कितने मत मिले। यहां तो यही बात खुलकर सामने आ रही है की चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए अपने निजी हितों को साधने में एक साजिश को अंजाम दिया गया। क्या यह लोकतंत्र है?। जिसमें लोग अपने मतों के हितों की रक्षा नहीं कर पाते क्योंकि कुछ असामाजिक तत्व इस लोकतंत्र के महोत्सव को सफल नहीं होने देते यहां पर साफ तौर पर वीडियो में दिखाई दे रहा है कि चुनाव कितना निष्पक्ष रुप से हुआ होगा और कितना फर्जी तरीके से यह तस्वीरें इस बात की गवाह है।

फर्जी मतदान को लेकर सोशल मीडिया पर दो-दो वीडियो वायरल हुए

झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के अंतर्गत आने वाली 77 ग्राम पंचायत में से एक बड़ी (उप तहसील )ग्राम पंचायत झकनावदा में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2022 का प्रथम चरण में फर्जी मतदान को लेकर दोनों वीडियो में एक लाल शर्ट वाला व्यक्ति अपने हाथों में एक पेन और कागज लेकर बेठा व्यक्ति है। लोग पीठासीन अधिकारी को घेर कर पर बैठे हैं। और मतपत्र भी अपने हाथों में लेकर बैठे हैं।जो मतदान क्रमांक 175 एवं 176 दोनों जगह पर बैठा है। और दोनों वीडियो में अलग अलग व्यक्ति मोबाइल पर बात करते हुए दिखाई दे रहे हैं।अब सवाल यह उठता है कि क्या एक ही व्यक्ति अलग-अलग मतदान केंद्र पर बैठ सकता है?हां अगर बैठ सकता हैं तो फिर निष्पक्ष रुप से चुनाव कहां हुआ। क्या यह खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन नहीं हुआ? हो सकता है वह व्यक्ति दोनों जगह जाने की हिम्मत अगर रखता है तो इस चुनाव में अपने निजी हितों को ध्यान में रखते हुए उसने कितना फर्जी मतदान करवाया होगा और करा होगा यह इस बात से सिद्ध होता है की झकनावदा में मतदान क्रमांक 175-176 में खुल कर फर्जी मतदान हुआ साथ ही आचार संहिता का उल्लंघन हुआ।
अब सवाल यह उठता है कि जब चुनाव आयोग जिस तरह निष्पक्ष चुनाव करवाने की डोंडी पीट रहा है तो क्या वास्तव में इस प्रकार से निष्पक्ष चुनाव किए जाते हैं। आपत्ती लेते हुए महिला प्रत्याशी सरपंच पद हेत ने जिला इलेक्शन अधिकारी सुनील झा झाबुआ, रिटर्निंग अधिकारी पेटलावद को आवेदन दिया था। जिसमे स्पष्ट रूप से लिखा था कि मतगणना फिर से करवाने के लिए आपत्ति दर्ज कराई गई विजय हुए उम्मीदवारों की घोषणा पत्र पर रोक लगाई जाए। इस संबंध में पेटलावद एसडीम शिशिर गेमावत से मोबाइल फोन से संपर्क करने पर उनका कहना था कि इस काम के लिए हमने एक निर्वाचन अधिकारी को नियुक्त किया गया है जो कि RO (रिटर्निंग ऑफिसर) जगदीश वर्मा नायब तहसीलदार को बनाया गया है आप उनसे जाकर मिले।
तत्पश्चात रिटर्निंग अधिकारी जगदीश वर्मा को आपत्ति का आवेदन दिया गया। दो दिवस बाद पुनः इस मामले पर बात करने हेतु चर्चा की गई।

मीडिया कर्मी द्वारा रिटर्निंग अधिकारी से बात करते समय उनसे कुछ सवाल पूछे गए जो प्रकार थे।

मीडिया कर्मी द्वारा पहला सवाल यह था की

पहले जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए था। वह मतदान क्रमांक 175 का था। और वह जो दूसरा वीडियो वह मतदान क्रमांक 176 का था और इन दोनो वीडीयो मैं लाल टीशर्ट में व्यक्ति दोनों मतदान केंद्रों पर बैठा दिख रहा है तो वह कैसे संभव है। अगर संभव है तो फिर निष्पक्ष चुनाव कैसे हुए।
यह एक बड़ा सवाल है। साथ ही दोनों वीडियो में अलग अलग व्यक्ति अपने सेल फोन (मोबाइल) पर बातें करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं तो क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है इस संबंध में रिटर्निंग अधिकारी वर्मा का कहना है कि पीठासीन अधिकारी को नोटिस दिया गया है।

दूसरा सवाल मीडिया कर्मी ने जब किया की
सोशल मीडिया पर हुए वायरल वीडियो के आधार पर क्या आप
पुनः मतगणना व पून: मतदान करने पर विचार करेंगे। तब उनका कहना था कि मतगणना वह पुनः मतदान नहीं होगा क्योंकि पीठासीन अधिकारी के द्वारा गणना हो चुकी है। और गणनापत्रक भी हमारे पास आ चुके हैं। वीडियो में साफ तौर पर दिख रहा है कि पीठासीन अधिकारी ने मतपत्रों की गणना कि या आम लोगों ने इस पर भी जांच होना चाहिए। और आगे रिटर्निंग अधिकारी का कहना है कि पीठासीन अधिकारी की लापरवाही हमें दिखई दे रही है। इस हेतु हमने उन्हें नोटिस दे दिया है। जब तक वह कोई जवाब नहीं देते हम आगे कुछ नहीं कह सकते। सबसे बड़ा सवाल यह है कि झकनावदा में चुनाव हुए आज 10 दिन हो चुके हैं उसके बाद भी अभी तक की है पीठासीन अधिकारी से जवाब नहीं मांग पाया और कुछ कहने से कतरा रहे हैं इसका मतलब साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि रिटर्निंग अधिकारी दबाव में काम कर रहे हैं क्योंकि पूर्व में भी झकनावदा की नामावली में फर्जीवाड़े में इन्होंने दबाव में आकर ही कुछ लोगों के नाम यथावत रखे थे। इससे भी स्पष्ट हैं की यह हमेशा दबाव में रहकर ही काम करेंगे।

पीठासीन अधिकारी ने मतपत्र आम लोगों के हाथों में दे रखे हैं तो क्या यह निष्पक्ष चुनाव हुए हैं। मतपत्रों की गणना तो आम लोगों के द्वारा ही की गई है तो क्या उनकी इस प्रकार फर्जी मतगणना के आधार पर विजय प्रत्याशियों की 14 जुलाई को जो घोषणा होने वाली है उस पर आप रोक लगाओगे। उन्होंने इस पर भी उन्होंने फिर वही राग अलापा कि पीठासीन अधिकारी को नोटिस दिया गया है। बार-बार पीठासीन अधिकारी पर ठीकरा फोड़कर अपने जवाबदारी से दूर भागते हुए पीठासीन अधिकारी खुलकर जवाब नहीं दे पा रहे हैं। इसका मतलब यह है कहने के दिमाग में कोई अलग ही खिचड़ी पक रही है जो कि राजनीतिक दबाव की और इशारा कर रही है।

चौथा सवाल मीडिया कर्मी का कहना था कि

क्या आप आम लोगों के हाथों हुई फर्जी मतगणना के आधार पर जो त्रि स्तरीय पंचायत चुनाव में विजय हुए उम्मीदवारों की घोषणा 14 जुलाई 2022 को करने वाले हैं वह इस आधार पर ही करेंगे। या उस पर रोक लगाएंगे। तब उनका कहना था कि जो भी होगा वह 14 जुलाई के बाद ही देखा जायेगा।तो श्रीमान इसका मतलब यह हुआ कि आप फर्जी मतगणन ना के आधार पर ही विजय प्रत्याशियों की घोषणा कर देंगे आप खुद ही आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं यह अधिकार आपको किसने दिया। क्या संविधान आपको इसकी इजाजत देता है। की आप लोकतंत्र में लोगों के मतों के अधिकार की रक्षा करने के बजाए चुनाव में हुए फर्जीवाड़े को भू नाते हुए खिलवाड़ करेंगे। इस संबंध में महिला प्रत्याशियों के पतियों ने एसडीएम शिशिर गेमावत एवं रिटर्निंग अधिकारी जगदीश वर्मा से बात की तो उनका हर बार एक ही जवाब है की पीठासीन अधिकारी को नोटिस भेज दिया है। उसके जवाब आने की देर है। कहने का मतलब यह है कि सीधा ठीकरा पीठासीन अधिकारी पर ही फोड रहे हैं। कुछ भी कहने से बच रहे हैं। रिटर्निंग अधिकारी की जो जिम्मेदारी आप को सौंपी है कर्म वचन और फर्ज के साथ आपको निभानी है। आप सिर्फ न्याय कर सकते हैं। फर्जी मतदान के हर पहलू पर सूक्ष्मता से जांच कर ही फैसला लेवे। क्योंकि इस वीडियो को देखकर तो यही सिद्ध हो रहा है कि कुल मिलाकर कुछ ना कुछ तो खिचड़ी पक्की है। उसके बाद भी आप आंख मूंदकर बोल रहे हैं की पीठासीन अधिकारी द्वारा मतगणना हो चुकी है तो क्या यह सभी आम लोगों को अधिकार है की मत पत्र हाथ में लेकर गिन सकते हैं। क्या लोग चुनाव में मोबाइल ले जा सकते हैं इसकी अनुमति उनको किसने दी। और क्या एक व्यक्ति दो जगह मतगणना कर सकता है इसका अधिकार भी उसको किसने दिया? क्या आपने दिया या आपके द्वारा अधिकृत पीठासीन अधिकारी ने दिया? या सेक्टर प्रभारी ने दिया क्या आप आचार संहिता के नियम के विरुद्ध जा सकते हैं। संविधान आपको इसकी इजाजत नहीं देता।
अतः श्रीमान आप पर जो जिम्मेदारी सौंपी गई है वह जनता के साथ न्याय करने के लिए दी गई है ना कि अन्याय करने के लिए जब आपको भी वीडियो में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा एक ही बेटा सेना अधिकारी ने मतपत्र सीधे आम लोगों के हाथों में दे रखे हैं। उन लोगो के द्वारा मतपत्र गायब भी किए जा सकते हे। और साथ ही फाड़ कर फेंके भी जा सकते हैं। क्योंकि आप पुनः उन मतपत्रों को नही गिनोगे जो पीठासीन अधिकारी ने गणनापत्रक दिया है उसी के आधार पर आप घोषणा करेंगे। संदेह हे की क्योंकि आम लोग के हाथों में मतपत्र हे वही मतगणना कर रहे हैं। और उनके कहने पर ही वह गणनापत्रक बनाए गए हो जो आपको दिए हैं। यह सब सबूत होने के बाद भी आप गलत को गलत और सही को सही नही कह रहे हैं और आप भी कह रहे हैं की गलत हो रहा है उसके बाद भी आप न्याय नही कर पा रहे हैं। ऐसी आपकी क्या मजबूरी है। यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि आप राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं। आपको नेताओं की पड़ी है ना कि लोकतंत्र में आम लोगों की।

अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इस पूरे मामले में स्पष्ट हो रहा है कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए हैं।उसके बाद भी इस पूरे मामले में ज़िम्मेदार अधिकारी रिटर्निंग ऑफिसर व जिले के निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन आयोग द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है और इन सारे सबूतों जो की वीडियो फोटो और सभी चीजों से यह सिद्ध होता है कि जिला निर्वाचन अधिकारि व रिटर्निंग ऑफिसर राजनैतिक दलों के दबाव में आकर काम कर रहे हैं।

पुलिस प्रशासन की भी निष्क्रियता एवं खुली पोल सामने आई

साथ ही यह भी देखने को मिला है कि स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इनके सामने घुटने टेकते नजर आ रहा है।
क्योंकि झकनावदा चौकी प्रभारी द्वारा भी इनको चुनाव केंद्रों पर जाने की अनुमति खुल्ले आम दी गई। ।और दूसरे उम्मीदवारों को वहा से बाहर निकाला जा रहा था। विपक्षियों को आदर पूर्वक अंदर जाने दिया जा रहा था। टोकन के समय 25 से 30 आम लोग फर्जी तरीके से टोकन लेकर अंदर चले गए उसके बाद भी चौकी प्रभारी ने कुछ भी एक्शन नहीं लिया एवं दबाव में आकर काम करते रहें।

जिन शिक्षको की ड्यूटी लगाई गई थी वह भी अपनी ड्यूटी निरस्त करवाके अपने पक्ष वालों का प्रचार प्रसार करते दिखे

जब निर्वाचन आयोग द्वारा जिन दो शिक्षको हेमेंद्र कुमार जोशी एवं पूनम चंद कोठारी की ड्यूटी बाहर लगाई गई थी। वे शिक्षक अपनी ड्यूटी पर न जाते हुए रात भर चुनाव प्रचार प्रसार में लगे रहे। इस चुनाव में अपना हस्तक्षेप करते नजर आए हैं। अब सवाल यह उठता है कि जब इन शिक्षको की ड्यूटी लगाई गई थी तो यह अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ कर यहा पर क्यों रुके और रुके तो फिर चुनाव में अपना हस्तक्षेप क्यों किया गया। इन सभी बातो से यह तो स्पष्ट हो रहा है कि इस चुनाव को अपने निजी हितों को ध्यान में रखते हुए अपने पक्ष में करने के लिए सोची समझी रणनीति तैयार कर रहे थे। और अपना दांव खेल रहे थे। यह चुनाव के समय ऐसा ही करते हैं शासन को उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए।

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