देश मे 75वां वर्ष गांठ मना रहा है लेकिन क्या पता है की हम इस महान कार्य को क्यो मना रहे है। इसका उधेश्य क्या है। जब इस देश में कई मुगल राज्य ने ओर फिरंगीओ ने और अंग्रेजो ने इस देश को गुलाम बना रखा था लेकिन हमारे देश के कुछ खास लोगो ने मिलाकर इस देश को आजाद कराया था। क्योकि हमारी पीढ़िया इस दोर से ना गुजरे और जो हम सहते आ रहे हैं वो हमारे देश के वासी और बीवी बच्चे ना सहना पड़े। इसी के चलते उन्होंने देश को 15 अगस्त 1947 को कई युद्ध लड़ कर आजाद कराया था।
लेकिन क्या आपको लगता हे की आप आजाद हो अभी के दोर में
आजादी के बाद भी गुलामी से जीते आ रहे है अब तो इन जंजीरो को तोड़ो ओर इस देश के लिए ओर आपनो के हित के लिए सत्य की लड़ाई के लिए जागो फिर से वही दोर आ गया हे अब फिर से किसी ना किसी घर से वीर सपूतों को बहार आना पड़ेगा, और भगतसिह वीर गुरु सावरकर,चंद्रशेखर आजाद,मंगल पांडे, सतगुरु, तात्या टोपे रानी लक्ष्मी बाई, सुखदेव पटेल जैसे कई क्रांतिकारियो ने मिलकर इस देश को आजाद कराया था। लेकिन क्या आज पुनः देश को ऐसे वीर जवानों की जरूरत है। क्या आज भी हमारा देश चंद गद्दारों की गुलामी कर रहा हैं तो उखाड़ फेको ऐसी हस्तियों को जिनकी नजर भी पड़े अपने देश के हकदारो पर। इस देश को उन चंद गद्दारों से मुक्त कर इस देश को आजाद करे। इस देश मे आजादी का जश्न तभी मनाओ तभी इस देश की आजादी मिलेगी और आजादी का अमृत भीगुल बजेगा सिर्फ और सिर्फ कार्यवाही को पुरा मत करे उन शहीदो को सिर्फ अपने कार्य के लिए याद ना करे बल्कि उन्हे हमेसा वाह सम्मान दीजिये जिसके वो हक़दार है कई बार देखा गया है की हमारे देश की आन बान शान 15 अगस्त और 26 जनवरी के बाद कही सड़को पर तो कही नालियों मे तो कही कचरे के डिब्बे में पाया जाता है। तो ऐसे लोगो को उसी वक्त रोको और जहा जिस गाव मे हो रहा है वहा के प्रशासन को ठोस व्यवस्था कर जो दोषी हो चाहे वह कोई भी हो कार्यवाही कर उसे सजा देना चाहिए तभी अगली बार येसा करने वाले दस बार सोचेंगे। जय जवान जय किसान, जय हिंद , भारत माता की जय, मेरा देश महान जैसे देश को समर्पित नारो का कोई मतलब नहीं हैं। झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर ओर भाजपा युवा मोर्चा जिला सह मीडिया प्रभारी एक सत्यता पर चलने वाला युवा पत्रकार है और समाज को अपने गाव,नगर ओर जिले को भ्रष्टाचार से संबंधित खबरो को लगाकर अपना कर्तव्य तो करता हैं मगर जो इस सिस्टम को कार्य करना अनिवार्य हैं वह सही से नहीं कर पा रहे हैं। आख खुली होने के बावजुद आखेमुंद कर बैठे रहते है अधिकारी आला अधिकारी पर भी शासन प्रशासन सरकारी विभाग जिला के पदाधिकारियों की किसी प्रकार से पहल नहीं की जाति क्योकि कुछ चुनिंदा चाटुकारिता पत्रकार के द्वारा वापस उस खबर पर लीपा फोति कर खबर को दबा दिया जाता है। बल्कि उस खबर का समर्थन करने के बजाय विरोद किया जाता है। ओर किसी प्रकार से कार्यवाही नहीं होती तो कैसे इस गाव नगर ओर जिले को भ्रष्टाचार मुक्त किया जा सकता है। कुछ राजनेता भी इस मे शामिल हे जिसके दबाव के करण भी कार्यवाही नहीं होती। तो भारत के सविधान का क्या आशय हैं। इस किसी प्रकार का मौलिक अधिकार हीं प्राप्त नहीं है और उसके सामने हीं उसके मौलिक अधिकारों का हनन किया जाता हो। सभी एक दूसरे को गिराने मे लगे है तो देश कैसे आगे बढ़ेगा। यहा तो सभी एक दूसरे की टांग खींचने मे लगे रहते हैं ये यह बन गया इसको नहीं बनाना था। और आगत बन भी गया तो उसे ईमानदारीसे कार्य करने नहीं देते हैं और ना हीं खुद करते हैं। कोई अच्छा कार्य करता हैं तो उसका ट्रांसफर या पद से हटा दिया जाता हैं। या उसकी नौकरी छील ली जाति है अब उसकी गुलामी हीं करना रह गई वो जैसा कहे वैसा करते रहो तो ठीक नही है घर पर जायो या यहा से कही और चले जाना पड़ता हैं। ईमानदारी की कोई कीमत हीं नहीं रही बल्कि कलियुग मे राम की जगह रावण की जय जय कार होती है। सत्य को नजदीक से देखने वाले को भी हार कर बैठना पड़ता हैं। ओर जो जितना बड़ा रावण होगा उसकी उतनी प्रशंसा की जाति हैं। वाह रे जमाने तेरे भी अजीब खेल निराले हैं। आज के कलियुग मे जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत को सत्य कर के दिखाई हे चाहे वह भैंस किसी की भी हो मगर जिसके हाथ मै लाठी उस समय वह भैंस उसकी। चाहे मालिक कोई भी हो। आज उसी का दोर है और कहते हैं की हम आजाद है।