झाबुआ जिले में सभी जगह देखा जाए तो सडक के समीप ही लगी हुई है शराब की सभी दुकाने

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ जिला कलेक्टर के राज मे सड़क के बिल्कुल पास मे ही शराब की दुकाने खुली हुई है। जबकि सभी अधिकारियों को पता है उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है। कहने को तो सरकार के बड़े बड़े नियम बनाये गये है मगर झाबुआ जिले के अधिकारी उन नियमो को जेब मे रखते है कोई भी आये बता देंगे । किसी से कोई डर नहीं है। आला अधिकारियों का इस और ध्यान ही नहि है और ज्यादा तर लोगो को ओर नसेड़ी बनाने पर तुले हुए है ताकि वह शराब पीकर मस्त रहे और अधिकारी कागजी कार्यवाही करके मस्त रहे। कहने को तो बहुत है। मगर झाबुआ के अधिकारी उन नियमो को ताक पर रख कर अपनी कमाई का कुछ हिसा दे कर बच जाते है।इसी लिए तो आज तक किसी भी शराब की दुकान पर कार्यवाही नहीं हुई है।

क्या कहता है नियम की शराब की दुकान सडक या रोड से कितनी दूरी पर होनी चाहिये।

अब सावल यह बनता हैं की झबुआ जिले मे ऐसी कई स्थान है जहा पर शराब के ठेकेधारो ने अपनी दुकाने सडक पर खोल रखी हैं और फिर भी कार्यवाही क्यो नही होती हैं। क्योकि सभी एक दूसरे से मिले हुए है।
आबकारीविभाग के अधिनियम के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग से 500 मीटर की दूरी तथा स्टेट हाइवे से 250 मीटर की दूरी तय की गई है। लेकिन झाबुआ जिले के क्षेत्र में स्थित शराब की दुकानें स्टेट हाइवे से फिट तो दूर की बात हे रोड पर ही बनी हुई है। और नेशनल हाइवे से मात्र 250 मीटर की दूरी पर स्थित होनी चाहिए।लेकिन क्या कारण है की झाबुआ जिले के कलेक्टर इन आबकारी विभाग पर मेहरबान हे की उनके सामने ही नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। और उसके बाद भी कलेक्टर साहब चुप है। इन सब बातो से तो यही लगाता है की सभी की मिली भगत से ही संभव हो रहा है। नहीं तो बनाते वक्त भी अधिकारी उसे रूकावा सकते है। या अब भी बंद करावा सकते है। मगर सायद कलेक्टर महोदय को यह रास न आये।

सुप्रीम कोर्ट ने शराब दुकानों को हाइवे से 500 मीटर दूर करने का आदेश दिया है। लेकिन शहर और क्षेत्र में मंदिरों व चिकित्सालय के आसपास ही मदिरालय चल रहे हैं। नियम होने के बाद भी ज्यादा राजस्व के चक्कर में ऐसे शराब दुकानों को दूर हटाने आबकारी विभाग गंभीर नहीं है।

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