झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर
झाबुआ 17 जुलाई 2022 झाबुआ समावेश, जिला शिक्षा केंद्र एवं यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से चल रहे शैक्षिणक नेतृत्व एवं सहायक पर्यवेक्षण कार्यक्रम के अंतगर्त समावेश द्वारा जिले स्तर पर एक दिवसीय ” शिक्षा संवाद गोष्ठी एवं सम्मान समारोह” कार्यक्रम अजीविका कला भवन झाबुआ में आयोजित किया। आयोजन में जिला शिक्षक एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट के पिंसीपल जी पी ओझा, जिला शिक्षा केंद्र झाबुआ से एकेडेमिक कोर्डीनेटर श्रीमती इंन्दिरा गुडियां, श्री एम.एल.सांखला, जिले के डीआरजी, बीआरसी, बीएसी, सीएसी, सक्रिय शिक्षक, समर कैंप संचालक स्रोत पर्सनवॉलिटीयर्स् एवं समावेश स्टाफ सहित 180 व्यक्तियों ने भागीदारी की ।
सर्व प्रथम डी आर जी चंदन भाबर द्वारा मुधुर आवाज में सामुहिक प्रार्थना करवाई । इसके बाद शिक्षा कार्यक्रम के जिला समन्वयक धुलेश्वर रोत ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि आज एक बेहतर प्लेटफार्म पर क्षेत्र में कार्य करने वाली सभी कडिया एक साथ मिली है । शिक्षा में बेहतरी के लिए सभी मिलकर एक टीम की तरह कार्य करेंगे तो झाबुआ की एक नई तस्वीर सामने आएगी । कार्यक्रम की प्रस्तुति के दौरान इन्होने बालकेन्दि्रत और सीखने वाली व्यवहारिक शिक्षा पर जोर दिया ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही श्रीमती इन्दिरा गुडिया ने कहा कि समावेश हमेशा ब्लॉक और क्लस्टर टीम के साथ मिलकरनई-नई चीजो के आगाज करती है। टी एल एम, पुस्तकालय का उपयोग और स्थानीय भाषा में सामग्री निर्माण कर बच्चों तक पहुंच बनाने का सराहनीय कार्य किया है। काविड के बाद बच्चों का स्कूलों में नामांकन और ठहराव बढाने की रणनीति पर अपने विचार रखे। इसी तरह बी ए सी अजय देशमुख, विजय यादव, महेश सोलंकी, कन्हैयालाल बामणियां ने अच्छे परिणामों के साथ साथ दिक्कतों पर भी अपनी बात रखी ।
राणापुर ब्लॉक से आए बी आर सी दीलिप ढाक ने बताया कि समावेश द्वारा गर्मी की छुटटियो में जिले की एकल और शिक्षक विहिन दूर दराज की 800 स्कूलों में वॉलिटीयर्स के जरिए संचालित कैंप पर तारिफ की। उन्होने बताया कि इससे बच्चों में कोविड के दौरान पढाई – लिखाई में आए गेप को पूरा करने में मदद मिली, बच्चों में आत्मविश्वास और स्कूल के प्रति रुचि बढी है ।
इस कडी में समर कैंप चलाने वाले 1200 वॉलिटीयर्स में से 6 ब्लॉकों से प्रतिनिधि के रुप में आए सक्रिय व्यक्तियों ने बताया कि समर कैंप फन और टिंकरिंग गतिविधियों के साथ एफ एल एन संबधी गतिविधियों को भशामिल किया गया था। एक माह की योजना में बच्चों को आरीगेमी, खिलौने बनाना, मैदानी खेल, गीत कविता, पुस्तकालय, टी एल एम का उपयोग गणित की बुनियादी अवधारणाएं समझाने में मजा आया। पेटलावाद से आई सुश्री दीपिका गवली, रामा ब्लॉक से प्रेम गोहरी, झाबुआ से प्रेम डामोर, थांदला से पिंकी कटारा, राणाुपर से नरेन्द्र और मेघनगर से संदीप रावत ने बताया कि शुरुआत में स्वयं को भी हिचकिचाहट होती थी बच्चे भी कम आते थे लेकिन जैसे जैसे गतिविधियां रोचक लगी बच्चों की संख्या बढने लगी प्रवेश उत्सव के बाद अब वे बच्चे स्कूल में रोजाना जाने लगे है। इन कैंपो में करीब 18000 से भी अधिक बच्चे लाभान्विति हुए ।
समारोह में थांदला प्राथमिक विद्यालय के बच्चों ने बंदर का कलेजा कहानी को स्टीक पपेट के जरिए सटीक संवादों के जरिए प्रदर्शन कर सभी का मन मोह लिया। इसी तरह राणाुपर से आए बच्चों ने आसमान गिरा कहानी को मुखौटो के जरिए प्रदर्शन किया तालियों की गडगडाहट से बच्चों काे हौसला बढा ।
जिला स्रोत समूह के प्रतिनिधि के तौर पर कुलदीप पंवार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि हमे नई शिक्षा नीति की मंशा अनुरुप कार्य करने की जरुरत है। बच्चों की प्रस्तुति से लगा कि यदि उनके साथ अच्छे से काम किया जाए तो हर बच्चे में कला, कौशल और हुनर छूपा है इसे बाहर निकाला जा सकता है। जिले में सक्रिय शिक्षकों की संख्यां बढ रही है ये खुशी की बात है। लेकिन यह संख्या बहुत कम है हम सभी प्रयास करेगें, इससे इजाफा जरुर होगा।
बतौर विशेष अतिथि लोकेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि आज बहुत ही अच्छा संयोग है, कि शिक्षा के बदलाव में कार्य करने वाले व्यक्ति एक साथ है। प्राथमिक शिक्षा जो कि आधारशिला है, इसमें बच्चोके प्रति ज्यादा संवेदनशील होकर काम करेन की जरुरत है। इसके लिए समावेश ने जिले में तंत्र के साथ मिलकर विस्तार किया है तारीफे काबिल है। उम्मीद है यहॉ से कुछ नया मॉडल निकलेगा ताकि झाबुआ का नाम उपर उठायेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झाबुआ डाईट प्राचार्य जी.पी.ओझा ने सर्वांगीण विकास के पहलूओं पर बात करते हुए बताया कि हम सभी को लम्बा सोचना चाहिए। जिसमें स्वयं और बच्चों के साथ साथ समुदाय को भी शिक्षित कर सके। इसके लिए नियमित पढना ज्ञान हासिल करते रहना आदत का हिस्सा होना चाहिए इसके लिए पाठयक्रम की किताबों के अलावा पुस्तकालय की किताबें और अखबार रोज पढने और समझने की आदत बने । समावेश द्वारा भीली में प्रकाशित पुस्तिकाओं का उदाहरण से समझाया कि कैेस भाषा और शब्द कमाल करते है इसकी पकड होना शिक्षकों का खास रुझान बनाने का जिक्र किया ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में योगेश मालवीया,नन्नु , राकेश , भुजराम, संतोष , सौरभ, दीलीप, अशोक, विष्णु , जलम और भरत का अहम योगदान रहा ।
कार्यक्रम का संचालन श्री चंदन भाबर और ज्योत्सना मालवीय ने किया। और आभार जितेन्द्र मालविया ने किया ।