खेल मैदान के हाल बेहाल

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

लाखों की लागत से बने खेल मैदान पर नहीं होता कोई आयोजन

झाबुआ जिले कि पेटलावाद तहसील के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत झकनावदा के खेल मेदान की हालत बहुत हि दयानीय है। जबकी देश में राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी के नायक मेजर ध्यानचंद की जयंती को याद करके राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। युवाओं को खेल में आगे लाने के लिए केंद्र सरकार एवं मध्य प्रदेश सरकार लाखों रुपए खर्च कर रही है। साथ ही खेल को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं भी चला रही है। लेकिन झाबुआ जैसे आदिवासी बाहुल्य जिले में खेल, खेल सामग्री, एवं खेल मैदान की हकीकत कुछ और ही दिखाई दे रही है।
जिले में खेल नीति के तहत लाखों रुपए की लागत से खेल मैदान बनाया गये। खेल मैदान बनाने के बाद आज तक उन पर कोई टूर्नामेंट, क्रिकेट फुटबॉल वॉलीबॉल, जैसे आयोजन नहीं हुए। क्योंकि इन खेल मैदानों की मरम्मत और सुधार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। कहीं पर आवारा पशुओं ने डेरा डाल रखा है तो कहीं पर गंदगी पसरी हुई है। और कहीं तो शराबियों का अड्डा बनकर रह गए है।ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने के लिए यह खेल मैदान बनाये गए थे। लेकिन अब यह सरकारी पैसों की बर्बादी साबित हो रहे हैं। आज तक इनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। ऐसा ही एक मामला झाबुआ जिले के पेटलावद विकासखंड के ग्राम पंचायत झकनावदा का सामने आया है। जहां पर टंकी ग्राउंड पर ग्रामीण लड़कों के लिए खेल मैदान लाखों रुपए खर्च करके बनाया गया। परंतु सिर्फ नाम का, उसमें ना तो कोई मरम्मत की गई ना कोई सुधार किया गया। बरसात के कारण मैदान पर घास उग आई। यू तो ग्राम पंचायत झकनावदा द्वारा भ्रष्टाचार के कई आयाम गड़े गए। फिर भी तत्कालीन सचिव द्वारा फर्जी बिल लगाकर खेल मैदान पर हरी घास उगाई के 4 लाख रुपए केवल कागज पर घास उगा कर अपनी जेब में रखकर खुलकर भ्रष्टाचार किया गया। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि जिला कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ इस मामले को संज्ञान में लेकर क्या कार्रवाई करते हैं।

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