बडवाह— शहर की कवर कालोनी नव दुर्गा उत्सव समिति के तत्वावधान में नवरात्रि पर्व की अष्टमी पर कवर कालोनी माता पांडाल में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।

रिपोर्ट पंकज ठाकुर

बडवाह— शहर की कवर कालोनी नव दुर्गा उत्सव समिति के तत्वावधान में नवरात्रि पर्व की अष्टमी पर कवर कालोनी माता पांडाल में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ।समिति केतत्वाधान में रात 10 बजे शुरू हुए कवि सम्मेलन की काव्य धारा ऐसी बही कि अर्द्ध रात्रि तक श्रोताओं ने काव्य पाठ का आनंद लेते रहे।कार्यक्रम के मुख्यातिथि काग्रेस युवा नेता त्रिलोक राठौड़ समाजसेवी शुशील छाजेड़ रामेश्वर जायसवाल नपाध्यक्ष राकेश गुप्ता पार्षद व समिति अध्यक्ष अनिल कानूनगो रमिंदरसिंह भाटिया अनिल राय प्रवीण शर्मा बिट्टा भाटिया डॉ परेश विजयवर्गीय व कवि प्रतापसिंह फौजदार आगरा हास्य व्यंग,सुदीप भोला दिल्ली हास्य व्यंग पेरोडी,श्वेतासिंह बडोदरा गीतकार श्रंगार,नागेंद्र ठाकुर धार वीर रस संचालक संदीप शर्मा धार हास्य का मंच पर अतिथियों का माला पहनाकर स्वागत किया।कवि सम्मेलन की शुरुआत संचालन कर रहे कवि संदीप शर्मा सहित देशभर के ख्यातनाम कवियों ने इसमें शिरकत की।कवियों ने अपनी कविता के माध्यम से श्रोताओं को कभी गुदगुदाया तो कभी वीर रस की कविता से जोश भर देर दिया। देर रात तक कवि सम्मेलन चलता रहा श्रोताजन डटे रहे।
नही हिलाना वृक्ष को बेटा शाम को श्रष्टि सोती है –

संचालन कर रहे कवि संदीप ने कहाकि नही हिलाना वृक्ष को बेटा शाम को श्रष्टि सोती है –पूजा करो भूमि की इससे बढ़िया वृष्टि होती है|चिटी को आटा डाले कोओ को ग्रास –खिलाते है अरे श्राद्ध का हिस्सा हम कुत्तो तक को दे आते है|वासुदेव कुटुंबकम अपना परिवार इतना बड़ा हुआ-गौ ब्रिज देव धेनु ही हितकारी|सृष्टि का कर्ता खड़ा है जीवन का कितना महत्व यह सब हमने देखा गिलहारी की पीठ पर भगवान श्री राम के स्पर्श कि रेखा है |

जहा दरिंदों ने दो महीनो की बच्ची तड़पाई आई कैसी बहहाई – कैसी ब हहाई
सुदीप भोला दिल्ली ने कहाकि गौरैया ने खुशबू के मुख ताले लगा लिए है शबनम की बुंदों ने दिल के तारे दिखा दिये है पूर्वाई ने साख हिले तो दिल पत्ते थे जहा घोसले थे वहा मकड़ी ने जाले लगा दिये है|कौन करेगा बोलो उजड़े गुलशन की भरपाई कैसी बहहाई – कैसी बहहाई|जहा बेटीया पूजी जाती होते है वा नवरात्रे नारी का सम्मान बचाने ज़ोहरा भी हो जाते जहा कृष्ण भी स्वयं खड़े हो जाते है अपमानित करने वालों के बच्चे मिट् जाते है|जहा दरिंदों ने दो महीनो की बच्ची तड़पाई आई कैसी बहहाई – कैसी बहहाई|
मां तिरंगे में तुझको मैं ही नजर आऊंगा
राष्ट्रीय कवि-नगेंद्र ठाकुर राजगढ़ (धार) ने एक सैनिक के मनोभाव सुख -दुख जीवन -मरण आनी जानी चीज है मां, आत्मा को परमात्मा में लीन कर दिखाऊंगा। राष्ट्रगीत राष्ट्रगान सुन ध्वज देखना मां,तिरंगे में तुझको मैं ही नजर आऊंगा।एक सैनिक के मनोभाव सुख -दुख जीवन -मरण आनी जानी चीज है मां, आत्मा को परमात्मा में लीन कर दिखाऊंगा। राष्ट्रगीत राष्ट्रगान सुन ध्वज देखना मां,तिरंगे में तुझको मैं ही नजर आऊंगा।
युगों से सारथी मैं ही तुम्हारे भाव रथ की हूँ
कवित्री श्वेता सिंह ने हृदय जिसको समझता है कथा मैं उस अकथ की हूँ।सदा से गामिनी मैं तो तुम्हारे प्रेम पथ की हूँ।अरे कौन्तेय पहचानो सुभद्रा हूँ तुम्हारी मैं।युगों से सारथी मैं ही तुम्हारे भाव रथ की हूँ।
भगतसिंह जैसे बेटो को अब भी वतन अब भी तरसता है
कवि प्रतापसिंह फौजदार ने कहाकि वफ़ाई ईमान की बाते किताबों मे ही मिलती है भरोसा रोज मिलता है भरोसा रोज ढसता है|जमीन वो अन्न पैदा कर वफा जो खौ मे बोले भगतसिंह जैसे बेटो को अब भी वतन अब भी तरसता है|इस अवसर पर मिक्कि चौहान प्रवीण तारे आशीष गुप्ता आशीष अग्रवाल कलपेश दुबे सहित समिति सदय गण सहित हजारो की संख्या मे श्रोतागण उपस्थित थे|कार्यक्रम का संचालन डॉ परेश विजयवर्गीय ने किया तथा आभार अनिल कानूनगो ने माना|

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