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वाह झाबुआ जिले के कलेक्टर मोहदय की तो बात ही निराली है

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ जिले में एक तरफ तो कलेक्टर झाबुआ जिले को शिक्षित करने के लिए प्रॉड शिक्षा का संचालन कर रहे हैं ओर वही इनके ही अधिकारी बच्चों के लिए स्कूल मे आई, मूल निवास, जाति प्रमाण के लिए शिक्षक बच्चों के लिए कहता है। ओर इधर लोक सेवा केंद्र के अधिकारी अनपढ़ गवार को सिफारिस पर लगाकर रख लिया जाता हैं जिनको यह भी जानकारी नहीं हैं की उस फ्रॉम मे क्या कमी है ओर उसको कैसे पुरा किया जा सकता है। ओर फ्रॉम को ले लिया जाता है ओर एक महीने की तारिक देकर रवाना कर दिया जाता हैं।
अब सावल यह उठता है की सरकारी अधिकारी के दस्तक करने के बाद भी फ्रॉम को कैसे रिजेक्ट किया जा सकता है। जब की गांव की जिस स्कूल मे बालिका पड़ रही है वहा की प्रधान अध्यापक ने हस्ताक्षर किये जिस गांव का सरपंच बनाया हुआ हे उसके हस्ताक्षर किये गये। साथ ही पटवारी, गिरधावर के हस्ताक्षर , गांव के कोटवाल पटेल के हस्ताक्षर कराये गये। साथ ही खाता खतौनी की नकल के साथ समग्र आइडी आधार कार्ड मार्कसीट फोटो स्वयं के हस्ताक्षर किये गये फार्म को भर कर जमा कराया जाता हे उसके बाद भी जाति के लिए दिया गया फार्म रिजेक्ट किया जाता है। वह भी सिर्फ पड़ोसी के हस्ताक्षर नहीं है बोल कर ओर जब महीना पुरा होने पर जाति प्रमाण पत्र लेने जाते है तब उनको कहा जाता है की आपका फार्म रिजेक्ट किया गया है। पुनः फ्रोसेस करना ओर पुनः इन सभी अधिकारियों के पास जाना फिर वही चक्कर इन चक्करो के कारण झाबुआ जिला अभीतक पिछड़ा हुआ है।

कलेक्टर महोदय को इसके बारे मे जानकारी दी गई मगर कोई जवाब नही।

इस पुरी जानकारी को लेकर कलेक्टर महोदय की दी गई मगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया।
इससे यही प्रतीत होता हैं की झाबुआ जिले की तमाम हर तरह की गतिविधि मे शामिल है इसी लिए किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होती है। ओर झाबुआ जिला भ्रष्टाचार की गोद मे पनप रहा है।

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