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वाड़ी माता को ठंडी करने के लिए गाव मे भ्रमण कर विदाई दी जाएगी।

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

झकनावदा निप्र मान्यता हे की नव रात्रि के एक दिन पूर्व ही वाड़ी माता को विधि विधान से बिठाया जाता है। ओर उसकी अस्टमी तक पूजा अर्चना की जाति हैं। जो की गुप्त तरीके से की जाति हैं। ओर अस्टमी को वाड़ी माता की पूजा अर्चना कर बहार निकला जाता है। ओर ढोल घमाको से गाव मे गुमाया जाता हैं। ओर वाड़ी माता को सिर्फ कुवारी कन्या ही उठती है। ओर गाव में होकर नदी पर लेजाकर माता को विदाई दी जाति है।

बुजुर्गो का कहना है की इस परंपरा से गाव की हर समस्या दूर होती है। ओर खास कर जो छोटे बच्चे होते हैं उनकी दीर्धाआयु के लिए भी पूजा अर्चना की जाति है। ओर यह परंपरा सदियों से चली आ रही है।

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