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अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर शासकीय मॉडल स्कूल रामा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया

झाबुआ जिला पमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठोर

झाबुआ, साक्षरता किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है। देश में जितने ज्यादा नागरिक साक्षर होगें, देश उतनी ही उन्नति कर सकता है। साक्षरता के इसी महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष दिनांक 08 सितम्बर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। साक्षरता दिवस समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से दुनिया भर में मनाया जाता है। साक्षरता क्या है? साक्षरता शब्द साक्षर से बना है, जिसका अर्थ पढ़ने और लिखने में सक्षम है। दुनिया के सभी देश हर वर्ग के अपने नागरिकों तक शिक्षा के प्रचार- प्रसार के उद्देश्य से साक्षरता दिवस मनाते है।

मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसा प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमान मोहम्मद सैय्यदुल अबरार के मार्गदर्शन तथा जिला न्यायाधीश/सचिव लीलाधर सोलंकी की अध्यक्षता एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती पूनम सिंह की उपस्थिति में दिनांक 08.सितम्बर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर शासकीय मॉडल स्कूल रामा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ सोलंकी एवं श्रीमती पूनम सिंह द्वारा मां सरस्वती एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के चित्र पर एवं दीप व माल्यार्पण कर किया गया।

उक्त विधिक साक्षरता शिविर में सोलंकी द्वारा उपस्थित छात्र/छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया गया कि साक्षरता प्रत्येक मनुष्य के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में चाहे वह नौकरी हो या जीवन यापन करना हर जगह शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका है। एक अशिक्षित व्यक्ति का जीवन कठिन होता है, क्योंकि वह व्यक्ति पढ़-लिख नहीं सकता, वह किताबों में संचित ज्ञान के भण्डार से अछुता रह जाता है। ऐसे व्यक्ति को अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं होता है और वह तमाम कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है। साक्षरता का तात्पर्य पढ़-लिख सकने की क्षमता से है।

दूसरों शब्दों में कहा जाये तो जिस व्यक्ति को अक्षरों का ज्ञान है तथा वह पढ़ने-लिखने में सक्षम है, वह साक्षर है एवं जो व्यक्ति पढ़ने-लिखने में सक्षम नहीं होते वे निरक्षर है। साक्षरता से ही मानव अपना, अपने परिवार, अपने समाज एवं देश का विकास कर सकता है। सभी छात्र/छात्राओं को विद्या अध्ययन सुचारू रूप से करते हुए अपने लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित किया। शिविर के माध्यम से न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती पूनम सिंह द्वारा छात्राओं को बताया कि अनजान व्यक्ति से चाहे कोई महिला ही क्यों न हो किसी से भी किसी प्रकार की बातचीत न करे तथा उनके द्वारा दिए गए किसी भी प्रलोभन में न आये यदि कोई समस्या हो तो अपने माता-पिता को बताऐ। उन्होंने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम पर भी विस्तार से जानकारी दी। श्रीमती सिंह ने छात्राओं को कन्या भू्रण हत्या पर जानकारी देते हुये कहा कि अल्ट्रासाउंड स्कैन जैसी लिंग परीक्षण जांच के बाद जन्म से पहले मां के गर्भ से लड़की के भू्रण को समाप्त करने के लिए गर्भपात की प्रक्रिया को कन्या भू्रण हत्या कहते है। कन्या भू्रण या कोई भी लिंग परीक्षण भारत में गैर-कानूनी है। शिविर में शिक्षा का मूल अधिकार अधिनियम, दहेज प्रथा, बाल विवाह प्रतिपेष अधिनियम, बाल श्रम, बाल शिक्षा, बाल विवाह, नेशनल लोक अदालत, नालसा हेल्प लाईन नंबर 15100 के बारे में विस्तार से बताया गया। शिविर में जिला शिक्षा अधिकारी श्री ओ.पी. बनाडे ने अपने संबोधन में कहा कि आज का दिन अक्षरों की अलख जगाने, अक्षर ज्ञान की महत्ता बताने का दिन है। अक्षर ज्ञान के प्रकाश से अपने और समाज के जीवन में चेतना, सुख और समृद्धि की रोशनी फैलाने का दिन है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की शुभकामनाऐं दी। शिविर का संचालन एवं आभार स्कूल प्राचार्य एल.पटेल द्वारा किया गया। उक्त शिविर में शिक्षक रतनसिंह भाबर,सवेसिंह मेड़ा,पी.सिंगार,राजेन्द्र कटारा, रामसिंह मोहनिया,महेन्द्र मौरी, बलवीर सिंह निनामा,सचिन सेन, शिक्षिका श्रीमती श्वेता परमार, कु. अनीता बिलवाल एवं बड़ी संख्या में छात्र/छात्राऐं उपस्थित रहें।

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