कल दिनांक 25 जुलाई 2022 सोमवार को अफीम किसान संघ डूंगला एवं भारतीय किसान संघ के संयुक्त नेतृत्व में 11:00 बजे श्रीमान उपखंड अधिकारी महोदय डूंगला को ज्ञापन प्रस्तुत करना है जिसमें आप सभी किसान भाई सादर उपस्थित रहे ज्ञापन के बाद में आगामी कार्यक्रम के लिए बैठक तेली समाज नोहरा डूंगला में रखी गई है ज्ञापन में निम्न अनुसार बात होगी
उपरोक्त विषय में अफीम नीति में संशोधन के विषयों को लेकर पूर्व में भी भारतीय किसान संघ अफीम संघर्ष समिति द्वारा वित्त राज्य मंत्री पंकज जी चौधरी से विस्तार से दिल्ली में लगभग 1 घंटा 30 मिनट बातचीत व किसानों की वाजिब मांगो युक्त ज्ञापन सौंपा। उसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी से भी लगभग 40 मिनट तक वित्त मंत्रालय में वार्ता हुई,उन्हे भी 20 सूत्रीय मांग पत्र सौंपा गया। जिसमें सीपीएस पद्धति जो लागू की गई उसमें भी सबके प्रयास से काफी विलंब से पोस्ता दाना किसान को निकालने की अनुमति मिली इसके लिए सभी किसानों की ओर से किसान संघ आपको धन्यवाद एवं आभार प्रकट करता है।
किसान संघ अफीम संघर्ष समिति का कहना है कि देश के सर्वश्रेष्ठ प्रधानमंत्री मोदी जी के सफलतम 8 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत अब आवश्यकता है किसानों एवं देश हित में अफीम नीति में भी बड़ा परिवर्तन कर किसान हित में पूरी तरह से नीति बनाई जावे, अफीम विभाग में पूरी तरह से ब्यूरोक्रेसी हावी है वर्तमान में अफीम नीति पूरी तरह से किसान व देश हित में नहीं है,इसमें भ्रष्टाचार सातवे आसमान पर है,ईमानदार किसानों की अच्छी अफीम को अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार करने के लिए घटिया बताई जा रही है आखिर क्यों?
इस वर्ष जून 2022 में नारकोटिक्स विभाग की कोटा डीएनसी द्वारा नई अफीम नीति में सुझाव हेतु बैठक में भारतीय किसान संघ को नहीं बुलाना बड़े खेद का विषय है।
:- हमारी मांगे इस प्रकार है –
- मार्फिन का नियम न्याय संगत नहीं है,ओसत या मार्फिन दोनो मे से एक में मापदंड (गुणवत्ता ) पूरी होने पर पट्टा जारी करना नीति में शामिल हो :- सदियों से 4 वर्ष पूर्व तक औसत के आधार पर किसान सरकार को अफीम उत्पादन कर दे रहे थे लेकिन पिछले 4 वर्षों में किसानों के ऊपर मार्फिन का नियम थोंप दिया गया है जो गलत है क्योंकि किस प्रकार की खेती करने से अफीम उत्पादन में मार्फिन अच्छी और ज्यादा बैठ पाएगी इसकी तकनीक सरकार और प्रशासन के पास भी नहीं है, इस नियम के लागू होने से किसान बेहद परेशान है।
- 1990 से अभी तक के वर्षों में कटे हुवे अथवा रुके हुए पट्टे जीरो औसत पर सभी बहाल किए जाएं क्योंकि अफीम की खेती करना प्रकृति के मौसम के ऊपर निर्भर करता है इसमें गुणवत्ता कम या ज्यादा आना किसान के हाथ में नहीं है भला किसान को जिससे रोजगार मिल रहा है, उसकी रोजी रोटी चल रही है, इसको समाप्त करने के लिए वह कदम क्यों उठाएगा,किसान निर्दोष है, पट्टे बहाल कर रोजगार बहाल किया जाए,बीच में कांग्रेस सरकार में जब गिरजा व्यास केंद्र में मंत्री थी तब किसान हित में सारे नियम ताक में रखकर कुछ वर्षो के उनके क्षेत्र से संबंधित रुके हुवे और कटे हुवे सारे पट्टे बहाल कर दिए गए थे,तो हम क्यों नहीं कर सकते। हरहाल में सभी पट्टे बहाल हो।
- समान आरी के पट्टे जारी हो :- किसानों को कम या ज्यादा क्षेत्रफल में अफीम के पट्टे जारी करने की नीति से अप्रत्याशित भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला है और ईमानदार किसानों को उनके अफीम घटिया बताकर या कम गुणवत्ता वाली दर्शा कर उन्हें कम क्षेत्रफल में पट्टे जारी हो रहे हैं अतः समान आरी (समान क्षेत्रफल) के पट्टे जारी हो ताकि निर्दोष किसानों का नुकसान नहीं हो और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके,वही विभाग को अधिक अथवा कम गुणवत्ता वाली अफीम किसानों से प्राप्त होने की स्थिति में किसान को अधिक अथवा कम पैसे देने का मापदंड लागू कर सकते है न की कम ज्यादा क्षेत्रफल में पट्टे जारी करे ।
- सीपीएस पद्धति बंध हो,इसमें जारी किए सारे पट्टे लुवाई चिराई हेतु जारी हो :- अफीम की खेती सदियों से परंपरागत तरीके से लुवाई चिराई पद्धति से की जा रही है जिसको सरकार ने पिछले वर्ष 2021 में 80 हजार पट्टो मेसे लगभग 10 हजार किसानों के लुवाई चिराई के स्थान पर सीपीएस पद्धति लागू कर दी है जो न्याय संगत नहीं है इस पद्धति के लागू होने से किसान के व मजदूरों के रोजगार समाप्त हुए हैं इतना ही नहीं इस फसल में लुवाई चिराई के बाद अफीम पोस्ता की पैदावार अधिक रहती है जिससे किसान को आर्थिक मजबूती मिलती है,जिन किसानों ने अच्छी अफीम विभाग को दी उनके भी अफीम घटिया बताकर पट्टे रोक दिए फिर पुराना रिकॉर्ड अच्छा देखकर सीपीएस में पट्टे जारी कर दिए, सीपीएस पद्धति में पोस्ता की पैदावार बहुत कम होती है जिससे किसान को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
- 8/29 धारा देश के कानून से समाप्त हो :- यह धारा 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय लागू की गई जिसमें 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है और इस धारा के दुरुपयोग से निर्दोष आम लोगों को व किसानों को 8/18 मे मुख्य दोषी व्यक्तियों द्वारा या प्रशासन द्वारा निर्दोष लोगों के नाम लिख दिए जाते हैं जिससे प्रतिवर्ष हजारों लोगों को जेलों के अंदर डाल दिया जाता है और वे दो साल, 4 साल, 8 साल आदि की सजा काटने के बाद बाइज्जत बरी होते हैं, ऐसे लाखो लोगो के जो निर्दोष सजा काटने के बाद बाइज्जत बरी हुवे उनके घर उजड़ गए,बर्बाद हो गए जिसका जिम्मेदार कोन, बरी होने का आंकड़ा लगभग 95% है, यही नहीं इसमें नाम लेकर लोगों से प्रतिवर्ष लाखों रुपए भ्रष्टाचार के रूप में निर्दोष लोगों से लिए जा रहे हैं।
- डोडा चूरा को नारकोटिक्स विभाग से निकालकर आबकारी विभाग को सौंप रखा है तो इसे एनडीपीएस एक्ट की धारा से बाहर निकाल कर आबकारी एक्ट की धारा में शामिल क्यों नहीं किया गया, अफीम की लुवाई चिराई के बाद डोडा चूरा में 0.2% से भी कम नशा रहता है जो किसी लेबोरेट्री में मात्रा दर्शाई नही जाती है और इसमें भी 10 वर्ष की कठोर सजा का प्रावधान न्याय संगत नहीं है हजारों निर्दोष लोगों को सजा काटनी पड रही है, जो न्याय नहीं है।पूर्व के वर्षों में ठेका पद्धति से डोडा चूरा राज्य सरकारों के अधीन लोगो को औषधि के रूप में सेवन हेतु दिया जाता रहा है तो फिर इस पर इतनी बड़ी सजा का कानून क्यों बना रखा है इसे इस कानून के दायरे से बाहर हरहाल में किया जाए,शराब का नशा सबसे घातक है उसे तो मंदिरों के पास भी बेंचा जा रहा है और जो डोडा चूरा औषधि के रूप में कई बीमारियों से जीवन की रक्षा करता है उस पर कुछ वर्षो से पाबंदी लगाना और इतनी बड़ी सजा किसी भी मायने में न्याय नही है।
- डोडा चूरा नष्टी करण पर किसानों को मुआवजा दिया जाए :- पूर्व में ठेका पद्धति द्वारा प्रति किलो 125 रुपए के हिसाब से किसानों को डोडा चूरा पर राज्य सरकार द्वारा दिए जाते रहे हैं पिछले 6 वर्षों से ठेका पद्धति बंद कर दी गई है और किसानों को डोडा चूरा पर बिना पैसा दिए ही नष्टीकरण के आदेश जारी कर दिए गए हैं जो सरासर अन्याय है।
- इस फसल के उत्पादों का आयात बंद हो निर्यात प्रारंभ हो :- प्रतिवर्ष विदेशों से अफीम से निकलने वाले पदार्थ कोडीन फॉस्फेट आदि का आयात किया जा रहा है जबकि भारत की अफीम अच्छी गुणवत्ता वाली है इसे ही अधिकारियों द्वारा अथवा मशीनों की तकनीकी खराबी के चलते घटिया बताया जा रहा है, बहुत बड़ा घालमेल है जो आम जनता में चर्चा का विषय है,आयत बंध करने से पुराने सारे रुके पट्टे बहाल हो सकेंगे वही लाखो नये किसानों को रोजगार हेतु पट्टे जारी हो पाएंगे, इसे ठीक किया जाए।
- किसानों को महंगाई को ध्यान में रखते हुवे प्रति किलो अफीम पर 5 से 15 हजार रुपए दिया जाना आवश्यक है तभी किसान को लागत के आधार पर इस खेती को ईमानदारी से करने में लाभ मिल पाएगा।
- दो प्लॉट में बुवाई सही थी इसे चालू रखा जाए :- पूर्व की भांति सभी अफीम किसानों को दो प्लॉट में फसल बुवाई चालू रखी जाए,क्यों की एक प्लॉट में प्राकृतिक कारणों से यदि फसल बीच में से खराब हो जाती है तो भी पूरे क्षेत्रफल की ओसत देनी पड़ती है या फिर पट्टा कट जाता है,दो प्लॉट में होने से किसान एक प्लॉट को अथवा खराब होने वाले कोने के क्षेत्रफल को अधिकारियों के सामने मूल फसल से अलग करने में सुरक्षित बचे क्षेत्रफल की अफीम देने में सही रहता है।
- प्रतिवर्ष अफीम नीति सितंबर की बजाय एक माह पहले अगस्त में घोषित की जाए ताकि कोई संशोधन शेष रह जाए तो उसे भी फसल बुवाई के समय से पहले ठीक किया जा सके अन्यथा किसान को प्रतिवर्ष बेवजह नुकसान उठाना पड़ता है।
- नई अफीम नीति हेतु मंत्रालय की बैठक में प्रतिवर्ष किसान संघ अफीम संघर्ष समिति से किसानों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य किया जाए ताकि नीति बनने में सुविधा हो सके।
:- अफीम उत्पादक किसानों से संबंधित अन्य कई छोटे छोटे विषय ओर भी है उन्हे भी संशोधित किया जाए ताकि बेवजह परेशान होने वाले किसानों को राहत मिल सके –
अ. कच्चा तोल बंध हो :- क्योंकि प्रतिदिन के तोल में अफीम उत्पादन की मात्रा तरल होती है जो स्वाभाविक ही ज्यादा मात्रा में होता है उसमे से पानी (ओस)अलग बर्तन में रखनी पड़ती है वही ताजा अफीम कई दिनों तक घर पर रखने से सुकती भी है और अंत में 30 से 50 दिन के बाद गाड़ी अफीम विभाग को सौंपनी पड़ती है जिसके वजन में नेचुरल ही कमी आती है तो फिर प्रतिदिन के वजन के हिसाब से ही जोड़कर अंत में अफीम सरकार को सौंपना न्याय संगत है ही नही,इसमें किसान को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है।
ब. प्रतिवर्ष किसान अपने मूल दस्तावेज विभाग को सौंपता है फिर भी जब विभाग दस्तावेज कंप्यूटर पर चढ़ाने में गलती कर देता है और किसान का पट्टा त्रुटि बताकर रोका जाता है उसमे भी सही कराने हेतु किसान को भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है,त्रुटि सुधार हेतु प्रतिवर्ष एक सप्ताह का अवसर दिया जाए।
स. अफीम पट्टा धारी किसान की मृत्यु होने पर उसके उत्तराधिकारी के नाम पट्टा देने के नियमो में सुधार हो और पत्नी, पुत्र, पुत्री,पोता,पोती, पौत्र,पोत्री अथवा दत्तक पुत्र या अन्य जो वृद्धावस्था में उसकी सेवा करें उसके नाम पट्टा देने का प्रावधान लागू हो,किसान मापदंडों के अनुसार पूरी अफीम सौंपता है उसके बाद भी वारिश के बनाए कारणों से पट्टा रोक देना भी ठीक नहीं है।
द. किसानों से अफीम प्रतिवर्ष अप्रैल में ही ले ली जाती है तो फिर उसकी गुणवत्ता के परिणाम भी हाथो हाथ देने चाहिए,तीन महीने बाद परिणाम देने से कई गड़बड़िया पैदा हो रही है।
य. विभाग में स्थाई अथवा अस्थाई भर्ती की जाए ताकि रिक्त पड़े पदों की पूर्ति हो सके और समय पर सारे काम हो पाएंगे।
र. किसानों से ली जाने वाली अफीम की ओसत के मापदंड पूरे देश में एक समान लागू हो, उत्तर प्रदेश में अगल और राजस्थान,मध्य प्रदेश में अलग क्यों,इसमें समानता लाई जाए।
व. प्रत्येक किसान को अपनी अफीम का एक 50 ग्राम का नमूना अधिकारियों के सामने सिल लगाकर अपने पास सुरक्षित रखने का प्रावधान लागू हो ताकि विभाग अच्छी अफीम का जब घटिया परिणाम घोषित करता है ऐसी स्थिति में किसान के पास रखे सेंपल की टेस्टिंग अलग से अन्य स्थान पर कराई जा सके।आदि आदि।
अतः आपसे बार बार निवेदन है कि इस वर्ष बड़े बदलाव की किसानों की अपेक्षा के साथ मांग है कि इन सभी बिंदुओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके ही नई नीति बनाई जाए ताकि इतने वर्षो से अनावश्यक पीड़ा का सामना कर रहे किसानों को राहत मिल सके।
तहसील स्तर पर धरना प्रदर्शन के साथ ज्ञापन के बाद जिला मुख्यालय पर भी धरना प्रदर्शन कर दिल्ली में आने की योजना किसानों की है समय रहते किसानों की पीड़ा दूर की जाए।
किसानों का यह भी कहना है कि जब तीन कृषि कानून किसानों के लिए अच्छे थे उन्हें भी कुछ लोगो के विरोध से सरकार ने वापस ले लिए और हम हमारी वास्तविक पीड़ा को दूर करने की बात कर रहे है तो भी हमारी बात नही सुनना हमे आंदोलन की ओर अग्रसर करने जैसा है।
समय रहते समस्या समाधान करें।
धन्यवाद।
निवेदक
भारतीय किसान संघ अफीम संघर्ष समिति चित्तौड़ प्रांत,तहसील ………….,जिला …………(राज.) ।
प्रतिलिपि :-
- माननीय प्रधानमंत्री महोदय जी भारत सरकार – नई दिल्ली,भारत।
- माननीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री भारत सरकार – नई दिल्ली, भारत।
- माननीय वित्त राज्य मंत्री पंकज जी चौधरी भारत सरकार – नई दिल्ली,भारत।
- माननीय नारकोटिक्स आयुक्त महोदय जी भारत सरकार – ग्वालियर, मध्य प्रदेश, भारत।