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ग्वालियर हाई कोर्ट का अहम फैसला, दतिया सत्र न्यायालय ने दी थी 10 साल की सजा, दुष्कर्म के आरोप में कर दिया दोषमुक्त।

मध्य प्रदेश से जिला जनपद ब्यूरो चीफ मंगल देव राठौर की खास रिपोर्ट

लोकेशन- ग्वालियर

हाई कोर्ट वास्तविकता में निर्दोषों के लिए एक बड़ा न्याय का देव मंदिर माना जाता है एक विषकन्या द्वारा एक व्यक्ति पर दुष्कर्म का आरोप 30 अगस्त 2017 में लगाया था लगभग 1966 दिन जेल में रहा निचली अदालत ने उसे दोषी मानते हुए 10 साल की सजा देकर आरोपी बना दिया था लेकिन आरोपी का वकील निचली अदालत के फैसले से असंतुष्ट होकर हाई कोर्ट जो की वास्तविकता में न्याय का मंदिर माना जाता है अपने क्लाइंट की अपील लेकर ग्वालियर हाई कोर्ट पहुंचा और अपील की जेल में बंद उद्देश्यों को मध्य प्रदेश कोर्ट की ग्वालियर बेंच से बड़ी राहत मिली जस्टिस अतुल श्रीधरन ने उसकी क्रिमिनल अपील को स्वीकार करते हुए 22 सितंबर 2020 को सत्र न्यायालय दतिया के आदेश को निरस्त कर दिया,
जिसमें उसे दुष्कर्म का दोषी मानते हुए 10 साल की सजा दी थी हाईकोर्ट ने वोटर आईडी कार्ड और पीड़िता के बयान में अंतर सहित अन्य साक्ष्यों के आधार पर यह माना कि उद्देश्य ने पीड़िता के साथ ना तो दुष्कर्म किया और ना ही अपहरण किया दरअसल 27 वर्षीय युवती ने दतिया के कोतवाली में 13 अगस्त 2017 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आरोपी उद्देश्य उसे झांसी में गया और एक कमरे में जबरन कैद कर रखा 6 से 12 अगस्त के बीच उद्देश्य ने कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया इसी तरह 12 दिसंबर को वार्ड झांसी से भागने में सफल रही और घर आकर परिजनों को आपबीती सुनाई ऐसे कई बयान महिला द्वारा दिए गए जिसमें विषकन्या महिला झूठी पाई गई उस देवतुल्य हाईकोर्ट मंदिर से न्याय निर्दोष को मिला लेकिन 1966 दिन उसने जेल में बिताया उसका क्या?
ऐसी विषकन्या के लिए भी जो झूठी रिपोर्ट दर्ज कराएं उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई होना चाहिए ताकि जो कानूनों का दुरुपयोग हो रहा है उस दुरुपयोग से बच पाए

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