कोहिनूर हीरे के बारे में तो अपन सभी ने सुना है। एक बात जो सब जानते हैं, वह यह है कि कोहिनूर हीरा भारत की संपत्ति है जो ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मुकुट में लगा हुआ है। सवाल यह है कि कोहिनूर हीरा कितना पुराना है और इसे दुनिया का सबसे बहुमूल्य हीरा क्यों माना जाता है जबकि इससे अधिक वजन के हीरे मौजूद हैं।
कोहिनूर हीरा कितना पुराना है, इसके पहले स्वामी का नाम क्या है
कोहिनूर हीरे के बारे में कोई एक स्पष्ट इतिहास नहीं है लेकिन भारत में मान्यता है कि कोहिनूर हीरा लगभग 5000 साल पुराना है। भारत के शास्त्रों में इसे स्यमंतक मणि के नाम से उल्लेखित किया गया है। जाम्वंत जी ने यह मणि भगवान श्री कृष्ण को दी थी। पुरातत्व विशेषज्ञों का मानना है कि कोहिनूर हीरा का अस्तित्व 3200 ईसा पूर्व है। यह भी कहा जाता है कि कोहिनूर हीरा गोलकुंडा की खान से निकला था जो वर्तमान में आंध्र प्रदेश में स्थित है और सन 1730 तक यह दुनिया की एकमात्र हीरे की खान थी।
कोहिनूर हीरा इतना बहुमूल्य क्यों है
कोहिनूर डायमंड का वजन 105 कैरेट (21.6 ग्राम) है। वर्तमान में दुनिया में इससे ज्यादा वजनदार हीरे मौजूद हैं। दुनिया के 7 सबसे वजनदार हीरो में कोहिनूर का नाम नहीं आता। इसके बावजूद कोहिनूर हीरा सबसे बहुमूल्य है क्योंकि इसके पीछे एक ऐसी मान्यता है जिस पर सारी दुनिया के शासकों ने विश्वास किया। मान्यता यह है कि कोहिनूर हीरा जिस के मुकुट में होता है वह दुनिया का सबसे बड़ा और लोकप्रिय शासक होता है। जब तक यह भारत में था तब तक भारत, विश्व का सबसे धनवान और बुद्धिमान देश माना जाता था।