झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर
पेटलावद क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अतिप्राचीन धाम श्रृंगेश्वर धाम का प्राचीन शिव मंदिर माही डेम के बाद कई बार जल मग्न हो जाता हैं इस बार भी यह दृश्य देखने को मिल रहा है की मंदिर का सिखर ही नजर आ रहा है।
कहा जाता है की इन दो नदियों के संगम स्थल को बड़ा पवित्र और पावन मना गया है और इसकी मान्यता दूर दूर तक पेली हुई है। इसके दर्शानार्थ के लिए भक्तगण अमावस्या और पूर्णामा पर स्नान के लिए आते है पुराणिक मान्यता है की यहा पर स्नान करने से बहुत पुराने साधु के सिर के सिंग गल गये थे तब से इसका नाम श्रृंगेश्वर धाम पड़ा था और उनका निवास यही रहा था जो आज भी श्री श्री 1008 काशीगीरी महाराज के नाम से प्रशिद्ध है। कहा जाता है की अगर किसी के मस अत्यधिक हो रहे है तो नमक की थेली को 21 बार उतारकर इस जल मैं छोड़ने से भी यह बीमारी ख़त्म होती हैं। यहा एक बहुत ही सुंदर और प्राकृतिक सौन्दर्य से बरी जगह है यहा पर आनंद की प्राप्ति होती है।