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सरकार की नल जल मिशन की पोल खोलती हुई कुछ तस्वीरें

योजना की हकीकत के साथ अपनी समस्या बताते ग्रामीण

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत बखतपुरा के (बिजोरी) पटेल नाका गांव जहा पर पिछले 2 वर्षो से सरकार की महत्वकांशी योजना “हर घर नल” “हर घर जल” योजना को लालची ठेकेदारों ने चढ़ा दी भ्रष्टाचार की भेट और आज भी ग्रामीण जन आस लगाये बैठे है। की सरकार हमे योजना का लाभ दिलवायेगी । मगर सच्चाई कुछ और हि बयां हो रही है। जहा पर ग्रामीण जनो के खेतो में से पाइप लाइन खोद कर बिछाई गई थी। लेकिन कही कही अभी तक पाइप लाइन बहार हि बिछी पड़ी है। जिससे उसके टूटने फुटने के भी संभावना है। और इसका लाभ अभीतक ग्रामीणों को नहीं मिला है। और पानी की एक एक बुंद को तरस रहे नल जल योजना के नल।

ग्रामीणों का कहना है की नल जल योजना के तहत किसी प्रकार से सही कार्य नहीं किया गया है। और आज तक ग्रामीण जन पानी की समस्या से जूझ रहे है। और गांव के लोग पानी को तरस रहे हैं। सरकार की इस योजना से गांव में एक आशा मन मे जगी थी। की इस गांव मे अब पानी की समस्या ख़त्म हो जाएगी। और कम से कम पानी की समस्या जो वर्षो से बनी हुई है। वह अब खत्म हो जाएगी। मगर ऐसा नहीं हुआ और उल्टा हमे नल जल योजना की पाइप लाइन से परेशानिया उठानी पड़ रही हैं। जो की हमारे खेतो मे से नल जल योजना के पाइप लाइन को लेजाया गया जहा इस फलिये के 40 घरों तक जा रही है मगर कही कही तो जमीन के अंदर है तो कही कही जमीन के ऊपर लावारिश की तरह हमारे खेतो मै साप की तरह रेंग रही है। जबकी ठेकेदारों के द्वारा उसको 3 फिट जमीन के अंदर तक दबानी थी। लेकिन हम ग्रामीणजनों के खेतो में ऐसे हि बिछा दी गई हैं। जिससे हमे खेती करने मे भी बड़ी समस्या होती हैं। और तो और जो पानी की टंकी बनाई है। उसमे भी अभी तक कभी पानी नही भरा गया हैं।

गांव की महिला ममता का कहना है की आज भी हमे पानी की समस्या झेलनी पड़ती है। और पानी के लिए एक से ढ़ेड किलोमीटर दूर से सिर पर पानी उठाकर लाना पड़ता है। और मेरा बड़ा ऑपरेशन भी हुआ हैं उसके बावजूद मुझे मेरे घर वालों के लिए पिने की पानी की व्यवस्था करनी पड़ती हैं। आसपास के बालिकायो को कहती हु तो कभी लियाते है और कभी मना कर देते है। ऐसे मे मुझे हि जाना पडता है। जो बड़ी समस्या होती है। और सरकार के द्वारा जो यह करोड़ो रुपये खर्च कर यह योजना लागु की गई है तो इसका क्या मतलब हुआ। जब हमे सिर पर हि पानी लाना है तो क्या सिर्फ अधिकारिओ के पेट भरने के लिए हि यह योजना बनाई गई थी। हम ग्रामीणों को तो आज भी सिर के बल पानी लाना हि पड़ रहा हैं। तो क्या मतलब है ऐसी योजनाओं का जो सिर्फ कहने के लिए है। और सरकारी अधिकारी कहते है की लाभ मिल रहा है। मगर सच्चाई तो कुछ ओर हि बया कर रही है जो आपके सामने है।

ग्रामीणों के द्वारा सरपंच को कहा तो ग्रामीणों को क्या जवाब दिया सरपंच साहब ने।

ग्राम पंचायत के सरपंच को कहते हैं तो कहते हैं की अधिकारी जाने हमारे हाथ में नहीं हैं। अधिकारी को कहो तो कहते है सरकार के द्वारा अभी तक पैसे नहीं दिये है हमने हमारी जेब से अभी लगा कर इतना कार्य कर दिया है अब आगे हम भी क्या करे। सरकार को कहो तो साहब हम अब इन सरकारी अधिकारी के चक्कर मै रहेंगे तो कमा कर क्या खाएंगे। मेहनत तो हमे हि करनी पड़ेगी। सरकार तोड़ी मेहनत करेगी ओर जिसको खाना है वह खाकर अपने दफ़्तर मे बैठा है। हम अगर बैठ जाएगे तो हमारे बच्चे भूखे रह जाएंगे।

नल जल योजना के तहत लगाया गया था बोरिंग होल।

कहने को तो सरकार के पेसो को हजम कर लिया गया है। क्योकि जो बोरिंग होल लगाया गया था उसमे तो पानी हि नहीं निकला और ग्रामीणों के द्वारा कहा भी गया की यहा पानी नहीं निकले गा। दूसरे स्थान पर लगाओ। लेकिन ठेकेदारों और पंचायत के सदस्यो ने अपनी मनमर्जी का काम किया गया। और जो पानी को एकत्रित करने के लिए टंकी बनाई गई वह भी सही नहीं हैं। जंग लगी हुई इंगल और पाइप से स्टेन बना कर उसके ऊपर दो सिंटेक्स के दो टैंक रखे गये है। लेकिन उनका भी कोई मतलब नहीं हैं। क्योकि उसकी व्यवस्था सही नही है और उसके दक्कन भी नहीं है। जिससे की पानी स्वास्थ रहे। खुले मे पड़े पानी कोन पियेगा। और पानी तो है नहीं तो उस टेंक का क्या मतलब है ऐसे हि सरकार के पैसों को बर्बाद किया जा रहा हैं सिर्फ दिखावट की जा रही हैं की सरकार की नल जल योजना बहुत अच्छी है। लेकिन ग्रामीणों से बातचीत करने पर उसकी हकीकत नजर आती है। की कहा तक सरकार की नल जल योजना सही है।

ग्रामीणों का कहना हैं की इस नल जल योजना का एक दिन भी हम ग्रामीणों को लाभ नहीं मिला है। लेकिन कुछ समय पहले सरकारी अधिकारी का दौरा होना था तो ग्राम पंचायत वालों ने पहले नजधिक से हि पानी उन टैंको मे भर दिया और ग्रामीणों को कह दिया की आप अपने नल को चलू ना करे हम टेस्ट कर रहे है। जिसके बाद जिले के अधिकारिओ को सिर्फ दिखाने के लिये जैसे हि अधिकारी ने लोकेशन देखा की हा सही कार्य हो रहा हैं अब पानी आ रहा हैं। या नहीं यह भी चेक किया गया उस समय फोटो ले लिया गया। लेकिन ठेकेदारों की मिलीभगत से आज तक पानी उस नल मे नहीं आया है। सिर्फ फोटो अपलोड करने के लिए नल मे पानी दिया गया जैसे फोटो खींचने वाले गये वैसे नल से पानी गया। उसके बाद ना फोटो वाले आये और ना इस गांव के नल मे पानी आया।

पटेल नाका फलिया बिजोरी से ग्रामीणजन बादर पिता धन्ना कुलम्भी, रामचंद्र पिता रूपा कुलम्भी, धन्ना प्रेमचंद भाबर, अमरसिह बाबू भूरिया, मांगू कतीजा,मुन्ना कालू भूरिया,मांगीलाल नाथा कतीजा,लालू रणछोड़ भूरिया, बिजाला भूरिया, भमर भूरिया, कालू कांजी भूरिया आदि ग्रामीण लोग उपस्थित थे।

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