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जनपद पंचायत पेटलावद के बाबूओ के अजब खेल के गजब ढंग

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

सीएम हेल्पलाइन शिकायत पर पर शिकायतकर्ता से ही कॉल करके पूछा जा रहा है। कि आपकी शिकायत कौन से विभाग की है

पेटलावद–झकनावदा–झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील इन दिनों भ्रष्टाचार के मामले में सुर्खियां बटोर रही है। ग्राम पंचायत में शासन की जन हितैषी योजनाओं में भ्रष्टाचार हुआ है। जिले के अधिकारी है कि सुनने को तैयार नहीं। और जहां पर भ्रष्टाचार हुआ है। वहां का मौका मुआयना तक नहीं करते। उल्टा शिकायतकर्ता से ही कॉल करके सारी जानकारी लेली जाती है। और शिकायतकर्ता को शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर किया जाता है। और एक तरफ प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान का कहना है। की जन हितेषी योजनाओं में भ्रष्टाचार बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करूंगा। और साथ ही कहा है कि यदि पेपर में किसी विभाग की खबर छपती है तो उस विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि यदि वह खबर सही है तो आप जनता के बीच जाएं और तुरंत खबर के आधार पर एक्शन ले। नहीं तो मैं एक्शन ले लूंगा। और यदि खबर गलत है। तो मुझे बतायेगा।आये दिन जनपद पंचायत पेटलावद की ग्राम पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर खबरें प्रकाशित होती है। उसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है। ऐसे ही एक जनपद पंचायत पेटलावद के बाबू है। जिनको यह भी नहीं मालूम है। की सीएम हेल्पलाइन पर शिकायतकर्ता द्वारा जो शिकायत की गई है। वह कौन से विभाग की है। उल्टा कॉल करके शिकायतकर्ता से ही पूछ रहे है। कि आपने जो शिकायत की है। वह कौन से विभाग की है। और जो चेक डैम बनाए गए वह पंचायत ने बनाए हैं कि किसने बनायें। वह शिकायतकर्ता को बातों बातों में गोल गोल घूमाता है उसके बाद उसकी शिकायत को बंद कर दिया जाता है। यही खेल जनपद पंचायत पेटलावद में इन दिनों चल रहा है। क्योंकि अधिकारी को मौके पर आने का वक्त नहीं है। सिर्फ कुर्सी पर बैठकर ही सारी औपचारिकताएं पूरी करने का समय है। मौके पर जाकर कार्य का निरीक्षण करना उनकी ड्यूटी में नहीं है। क्या इन महाशय को यह भी पता नहीं है। कि हमने जिस कार्य के बिल बिना निरीक्षण के ही पास किए हैं। वह कौन से विभाग से संबंधित है। और वह कार्य किसके द्वारा किये गये है। नियम तो यह कहता है कि सचिव के साथ जनपद पंचायत के अधिकारी को कार्य का निरीक्षण करने जाना चाहिए। और वहां देखना चाहिए कि कार्य में कोई अनियमितता तो नहीं है कार्य पूरी तरह से पूर्ण हुआ है कि नहीं। उस कार्यक्षेत्र का मौका मुआयना करना चाहिए। और कार्यक्षेत्र की लोकेशन भी देखना चाहिए कि जो सचिव ने लोकेशन बताइए वही है या दूसरी है। उसके बाद बिल पास करना चाहिए। मुख्यमंत्री के इतने सख्त हिदायत के बाद भी अधिकारी है कि कुंभकर्णीय नींद में सोए हैं।

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