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ग्राम पंचायत के पंचो की मन मर्जी के सामने आम नागरिक हुआ लाचार।

जनसुनवाई मे आवेदन देने के बाद भी नहीं हुआ निवारण। अधिकारी भी हुए शामिल।

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरो चीफ चंद्रशेखर राठौर

अपने हक के लिए लड़ रहा हालातो से ओर भटक रहा दर बदर। कोई उसकी मदत को नहीं है तैयार

ग्राम से लेकर जिले तक ओर जिले से लेकर जनपद तक ओर जनपद से ग्राम ओर ग्राम से जिले तक। बस गुमाया जा रहा हे अधिकारियों के द्वारा

झकनावदा निप्र ग्राम पंचायत समिति के सदस्यों के द्वारा गाव मे पंचायत के समीप अपनी गुमट्टी पर अपना व्यवसाय करता था। उसके बाद ग्राम पंचायत समिति के द्वारा उसी गाव के व्यक्ति रविन्द्र भाटी पिता राजेंद्र भाटी से बात कर कहा गया की पंचायत के द्वारा यहा पर पक्की दुकाने बनाई जाएगी ओर ये गुमटी आपको हटानी पड़ेगी। उस व्यक्ति ने बात की की मे कहा जाऊंगा तो ग्राम पंचायत के सचिव ने कहा की आपको भी इस दुकान के बदले दुकान दी जाएगी यही पर उसके लिए आपको पंचायत को पैसे देना पड़ेगा ओर आपका ठहराव प्रस्ताव बना देते है। आपके पास तो पंचायत की रसीद भी है तो आप पहले पात्र रहोगे क्योकि आप पहले से यहा पर आपकी दुकान है। उसके लिए आपको 2 लाख रुपए पंचायत को देने होंगे। तब उस गरीब व्यक्ति ने अपने जीवन की जमा पूंजी पंचायत को बैंक के चेक के माध्यम से पंचायत के नाम से दे दिये जिसकी रसीद भी पंचायत वालों ने नहीं दी लेकिन उसने उसके फोटो लेलिए। अब मामला यह हुआ की पक्की दुकाने बन कर तैयार हो गई ओर ग्राम पंचायत के पंच वार्ड मेम्बर ने हि दुकानों पर अपना कब्ज़ा कर लिया ओर दुकाने रेंट पर दे दी गई। जब वह व्यक्ति अपनी दुकान की बात को लेकर पंचायत पहुचा तो कहा की अब दुकाने नहीं है।

जबकी ग्राम पंचायत समिति के द्वारा इन दुकानों की सरकारी नियमो के अनुसर नीलम तो की हि नहीं ओर ना हि किसी को बताया गाय ओर ना हि किसी प्रकार की सूचना दी गई तो दुकाने किस आधार पर दे दी गई। सचिव ने कहा की अब मे क्या कर सकता हूं आपके हि गाव के लोग जो मेम्बर बने हैं उन्ही ने ले ली है। ओर तुम तो जनपद पंचायत को कहोगे तो भी कुछ नहीं होने वाला हैं। सीधे जनसुनवाई मे या कलेक्टर महोदय को इसके बारे मै आवागत कराओ तो कुछ हो सकता हैं।

तब रविंद्र भाटी के द्वारा जन सुनवाई मे आवेदन दिया गया। उसके बाद उससे कहा गया की इसकी जानकारी लेकर आपको सूचित किया जायेगा। तब उस समय झाबुआ जिले के कलेक्टर सोमेश मिश्रा थे। उसके बाद उनका ट्रांसफर हो गया। दूसरी जन सुनवाई मे जाने पर अपर कलेक्टर झा के नेतृत्व मे सुनवाई के दौरान पता चला की इनको दुकान दी जा रही है मगर यह नहीं ले रहे है ओर पंचायत के द्वारा 6 से 7 दुकाने बनाई गई मगर जनसुनवाई मे शिकायत करता के द्वारा पोर्टल पर 3 दुकाने हि दर्शाई गई। तो उसकी समाज मे नहीं आया की ग्राम पंचायत समिति के द्वारा आम नागरिक तो ठीक झाबुआ जिले के अधिकारियों को भी गलत जानकारी देकर भयमित किया जा रहा हैं। ओर उसमे ग्राम पंचायत के पीसीओ के द्वारा इनकी जानकारी मांगी गई थी जो की गलत दी गई हैं। क्योकि उनका कहना था की मे ग्राम पंचायत ओर जाकर जनसुनवाई मे आवेदक के आवेदन पर उसकी जांच कर यह प्रतिवेदन दिया है। जबकी पीसीओ के द्वारा गलत जानकारी दी गई है जब ग्राम पंचायत मे हमे इसके बारे मै जानकारी हि नहीं दी गई ओर उल्टा हसे कहा गया की आपके साथ बहुत गलत किया है मे पंच नामा बनाकर ले जा रहा हु आप भी पड़ लो लेकिन उसमे येसा कुछ नहीं लिखा था की 3 दुकाने बनाई गई हे। अब यह समाज मे नहीं आ रहा की आखिर कार पीसीओ ने किसके कहने पर ये पंच नामा बदल कर जिले वाले अधिकारियों को सूचित किया गया है।

ओर तीसरी बार वापस जनसुनवाई मे जाने के बाद उनके द्वारा जनपद पंचायत सीईओ को कॉल कर जानकारी का बोला ओर रविंद्र को पेटलावाद सीईओ से मिलने का कहा ओर उसी वक्त रविन्द्र भाटी पेटलावाद निकल गया। झाबुआ से पेटलावाद जाने के बाद पुरी जानकारी बताते हुए ओर जो भी कागजात थे वह बातये गये तो सीईओ मैडम ने कहा की हम एक दो दिन मे आते है और देखते है की क्या मामला हैं क्योकि झकनावदा की ओर भी शिकायते है उसके लिए आएंगे इस आवेदन पर आपके मोबाईल नंबर लिख दो हम आपको कॉल करेंगे। लेकिन आज दिनांक तक कोई नहीं आया।

जब 15 दिन बित गये ओर नविन पदस्त झाबुआ जिले मे कलेक्टर मैडम के बारे मै सुना की गरीबो की पुकार सुनकर उनकी सुनवाई हो रही है तो मे रविन्द्र भाटी तब पुनः 11 अक्टुबर 2022 को जनसुनवाई मे रसीद के माध्यम से उनके समक्ष उपस्थित हुआ तो उन्होंने जनसुनवाई के शिकायत नंबर से मेरी शिकायत देखी तो कहा की मे मेरी मन मर्जी की दुकान लेना चाहता हूं इस लिए ओर दूसरी दुकान दे रहे हैं तो इनके द्वारा नहीं ली जा रही है। तब झाबुआ कलेक्टर मैडम के द्वारा पुनः एक बार इनकी जांच करवा ने के निर्देश दिये गये। ओर वाही से पंचायत के जिला अधिकारी के द्वारा जनपद पंचायत मे कॉल कर बात की गई की वो रविंद्र भाटी जो की झकनवादा पंचायत की दुकान वाला क्या हुआ देखलो नहीं तो उनके नोटिश जारी करो मैडम ने कहा है। यह बात उस अधिकारी ने उसके मोबाईल से जनसुनाई के दौरान दबी हुई आवाज में कही जो की शिकायतकर्ता वही खड़ा हुआ सुन रहा था। तिन दिन का कहा गया की आपकी शिकायत का निवारण किया जायेगा।

अब बात यह सामने आती है की ग्राम पंचायत के द्वारा रविंद्र भाटी को जिस दुकान की जगह पक्की दुकान देने की बात कही गई ओर ठराव प्रस्ताव जारी किया गया ओर उसके बाद उससे उसी जगह दुकान देने के लिए पैसे लिए गये वो भी 2 लाख 5 हजार रुपये उसके बाद भी दुकान देने से आना कानि कर उसे प्रताड़ित किया जा रहा है। ना उसे यहा से वहा दौड़ाते हुए ग्राम पंचायत के सदस्य के द्वारा कहा जा रहा हे की कुछ भी करले कुछ नहीं होने वाला है। आज लगभग पूरे 6 से 8 माह उसको भटकते भटकते हो गये है उसके बाद भी उसकी किसी प्रकार से सुनवाई नहीं हो रही है। अब देखना यह होगा की क्या इस गरीब की आस झाबुआ कलेक्टर मैडम पुरी कर पायेगी ओर इस गरीब को इन पंच लोगो से इसकी दुकान दिला सकेंगे। क्या 3 दिन मे इसका निवारण हो जायेगा। या कुछ ओर कहानी बता कर जिला कलेक्टर मैडम को भी पट्टी पढ़ाई जाएगी उसी पर मैडम कार्यवाही करेंगे या जमीनी स्तर पर देखकर निर्णय देंगे।

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