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आज दिनांक 14 जुलाई-2022 को आरपीएफ रेलवे सुरक्षा बल एवं जीवन ज्योति हॉस्पिटल तहसील मेघनगर जिला झाबुआ में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

झाबुआ जिला प्रमुख ब्यूरों चीफ चंद्रशेखर राठौर

झाबुआ,14 जुलाई, 2022 झाबुआ शहर में मानसून की बारिश और सावन के मेघ बरस का सिलसिला जारी है और इस सिलसिले के बीच जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ के द्वारा पौधारोपण का कार्य माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमान मोहम्मद सैय्यदुल अबरार जी के मार्गदर्शन एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ के सचिव/जिला न्यायाधीश श्रीमान लीलाधर सोलंकी जी की अध्यक्षता में किया जा रहा है। इसी सिलसिले को जारी रखते हुये आज दिनांक 14 जुलाई-2022 को आरपीएफ रेलवे सुरक्षा बल एवं जीवन ज्योति हॉस्पिटल तहसील मेघनगर जिला झाबुआ में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत रेलवे परिसर एवं हॉस्पिटल परिसर में नीम, पीपल, बरगद, जामुन, आंवला, आम, जामफल, इमली, कटहल, आदि के लगभग 210 पौधे लगाये गए।

इस अवसर पर सोलंकी जी ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ के द्वारा लगातार पौधारोपण कार्यक्रमों का आयोजन दिनांक 11 जुलाई से किया जा रहा है और आगे भी किया जायेगा। इन पौधारोपण कार्यक्रम से हमारा मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुऐ अपने जीवन में केवल एक पौधा लगाने का प्रण ले ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध वायु व स्वच्छ वातावरण प्राप्त हो सकें। सोलंकी जी ने बताया कि लगातार प्रदेश व देश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। जो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक साबित होगा। इस प्रदूषण नामक बीमारी से बचना है तो हमे अधिक से अधिक मात्रा में पौधे लगाने होगे ताकि पौधे जल्द से जल्द एक अच्छे छायादार व फलदार वृक्ष का रूप ले सकें। पौधोरोपण कार्यक्रम में आरपीएफ रेलवे सुरक्षा बल से निरीक्षक धर्मपाल सिंह, उपनिरीक्षक बबलू कुमार व स्टॉप उपस्थित रहें वहीं जीवन ज्योति हॉस्पिटल से फादर थोमस, डॉ. मालवीय, डॉ. जैन एवं डॉ. महेन्द्र श्रीवास्तव उपस्थित रहें। उक्त दोनों कार्यक्रम का व्यवस्था ममता एचआईएमसी यूनिसेफ से जिम्मी निर्मल द्वारा की गई।
सोलंकी जी द्वारा पौधारोपण पश्चात् जीवन ज्योति हॉस्पिटल का निरीक्षण भी किया गया। निरीक्षण में सोलंकी जी कुपोषण बच्चों एवं उनकी माताओं से मिले उनसे उनकी दवाईयों एवं खान-पान के बारे में जानकारी ली। और कहा कि कुपोषण बच्चें होने का मूल कारण है कम उम्र में शादी करना इसलिए लड़की की शादी 18 वर्ष पश्चात् व लड़के की शादी 21 वर्ष पश्चात् ही शादी करना चाहिए जिससे आप की शारीरिक व मानसिक स्थिति सही हो सकें।

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